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PPF और छोटी बचत योजनाओं पर बढ़ सकती हैं ब्याज की दरें; जानिए आपको होगा कितना फायदा

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार छोटी बचत योजनाएं गवर्नमेंट सिक्युरिटी मार्केट यील्ड से जुड़ी होती हैं। सरकारी प्रतिभूतियों के बेहतर प्रतिफल को देखते हुए सरकार जल्द ही पीपीएफ और छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की दरों में बदलाव किया जा सकता है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Fri, 16 Sep 2022 05:34 PM (IST)
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Govt may increase interest rate of PPF, other small savings schemes soon
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो सरकार जल्द ही छोटी बचत योजनाओं (Small Saving Schemes) और पीपीएफ (PPF) पर ब्याज दरें बढ़ा सकती है। वित्त मंत्रालय द्वारा 18 मार्च 2016 को अधिसूचित पीपीएफ पर ब्याज की गणना के फार्मूले के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में पीपीएफ पर ब्याज बढ़कर 7.56 फीसदी हो सकता है। पीपीएफ की ब्याज दर वर्तमान में 7.1 फीसद है।

हालांकि यह पूरी तरह निश्चित नहीं है लेकिन इस बात की काफी गुंजाइश है कि सरकार सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), सुकन्या समृद्धि बचत योजना (Sukanya Samriddhi), वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) और राष्ट्रीय बचत योजना (NSC) जैसी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में वृद्धि कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस आशय का ऐलान 30 सितंबर को किया जा सकता है।

दरों में होगा बदलाव?

छोटी बचतों पर ब्याज दरों की गणना सरकारी बांड्स के आधार पर की जाती है, जिन्हें सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में भी जाना जाता है। सरकार हर तिमाही इन ब्याज दरों की समीक्षा करती है। बेंचमार्क 10-वर्षीय गवर्नमेंट यील्ड अप्रैल 2022 से 7% से ऊपर रहा है और जून से अगस्त 2021 में औसतन 7.31% रहा है। इससे आगामी समीक्षा में दरों को संशोधित करने की मजबूत संभावना बन रही है।

कहां-कितना मिलता है ब्याज

पीपीएफ की ब्याज दर औसत 3 महीने की सरकारी-सेक्युरिटी यील्ड से 25 आधार अंक अधिक है। फिलहाल पीपीएफ पर सरकार 7.1 फीसदी देती है। इसी तरह, सुकन्या समृद्धि बचत योजना की ब्याज दर वर्तमान में 7.6 फीसद देता है।

2020 में हुआ था बदलाव

आपको बता दें कि सितंबर 2020 से छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें अपरिवर्तित बनी हुई हैं। अप्रैल-सितंबर 2020 तिमाही में इन दरों में संशोधन करके उन्हें घटा दिया गया था। जबकि बांड यील्ड कुछ समय से उच्च स्तर पर हैं, तो छोटी योजनाओं पर ब्याज दरों को बढ़ाया जा सकता है।