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PPF vs Post Office FD: कौन-सा निवेश विकल्प किसके लिए सही, पैसा लगाने से पहले जान लें सभी बातें

PPF or Post Office FD Know Which is Better बचत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है चाहे वह आपकी सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाना हो या आपातकालीन कोष बनाना हो। आजकल निवेश और बचत के लिए लोगों के बीच एफडी और पीपीएफ दोनों लोकप्रिय निवेश उपकरण हैं। आज जानिए पीपीएफ और डाकघर एफडी कौन सा ऑप्शन किसके लिए सही है।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 05 Jul 2023 10:30 AM (IST)
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PPF and Fixed Deposit from Post Office: What is better for you?

नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: बढ़ती महंगाई को देखते हुए बहुत जरूरी है कि आप केवल आज की नहीं बल्कि अपने कल की भी चिंता करें। इसके लिए बहुत जरूरी है कि आप आज के कमाए हुए पैसों से आप अपना भविष्य संवार सकें। जब बात भविष्य की आती है सबसे पहले लोग आर्थिक रूप से निश्चिंत होना चाहतें हैं।

इसी के लिए वो निवेश के साथ-साथ बचत के बारे में भी सोचते हैं। बचत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, चाहे। आप किसी भी चीज के लिए जैसे अपनी रिटायरमेंट क लिए या फिर खुद के लिए इमरजेंसी फंड बनाने के लिए बचत कर सकते हैं। आजकल निवेश और बचत के इतने सारे विकल्प सामने आ चुके हैं कि अब निवेश करना चाय पीने के समान ही है।

बात जब निवेश और बचत की आती है तो हम सब सुरक्षित मार्ग चुनना चाहते हैं। देश में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) को आज से नहीं बल्कि सदियों से सबसे सुरक्षित निवेश माना जा रहा है। एक ऐसा ही निवेश पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) भी है जिसमें लोग जमकर निवेश करते हैं। आज हम आपको पीपीएफ और डाकघर एफडी की ब्याज दरों की तुलना बताएंगे और यह भी जानकारी देंगे कि कौन सा ऑप्शन किसके लिए उपयुक्त है?

क्या होता है एफडी?

फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में, आप अपने बैंक में एक निश्चित अवधि के लिए सहमत ब्याज दर पर एकमुश्त राशि डालते हैं। कार्यकाल के अंत में, आपको आपके द्वारा निवेश की गई राशि और चक्रवृद्धि ब्याज प्राप्त होता है। एफडी को टर्म डिपॉजिट भी कहा जाता है।

एफडी पर आपका रिटर्न ब्याज दर और आपके द्वारा चुने गए जमा के प्रकार पर निर्भर करता है। आप ब्याज का मासिक या त्रैमासिक भुगतान या पुनर्निवेश विकल्प चुन सकते हैं, जिससे आपको चक्रवृद्धि का लाभ मिलता है। आपको बता दें कि एफडी 7 दिनों से लेकर 10 वर्ष तक के लिए की जा सकती है।

फिक्स्ड डिपॉजिट निवेशकों को गारंटी रिटर्न प्रदान करता है। बाजार आधारित निवेशों के विपरीत, जहां समय के साथ रिटर्न में उतार-चढ़ाव होता है, एफडी पर रिटर्न खाता खोलते ही तय हो जाता है।

क्या होता है पीपीएफ?

सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) योजना सबसे लोकप्रिय दीर्घकालिक बचत-सह-निवेश उत्पादों में से एक है, जिसका मुख्य कारण सुरक्षा, रिटर्न और कर बचत का संयोजन है।

निवेशक पीपीएफ का उपयोग अपनी सेवानिवृत्ति के लिए लंबे समय तक नियमित रूप से धनराशि अलग रखकर एक कोष बनाने के लिए एक उपकरण के रूप में करते हैं (पीपीएफ में 15 साल की परिपक्वता अवधि होती है, और कार्यकाल बढ़ाने की सुविधा होती है)। अपनी आकर्षक ब्याज दरों और कर लाभों के साथ, पीपीएफ छोटे बचतकर्ताओं का बड़ा पसंदीदा है।

पीपीएफ की लेटेस्ट ब्याज दर क्या है?

हाल ही में सरकार की हुई बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए पीपीएफ ब्याज दर को 7.1 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया है। पीपीएफ की ब्याज दरें अप्रैल 2020 से स्थिर बनी हुई है। आपको बता दें कि सरकार द्वारा हर तिमाही में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों की समीक्षा की जाती है।

पोस्ट ऑफिस एफडी पर कितना मिलता है ब्याज?

पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट या फिक्स्ड डिपॉजिट बैंक एफडी के समान है। यह एक निश्चित अवधि के लिए राशि जमा करने वाले जमाकर्ता को गारंटीशुदा रिटर्न प्रदान करता है।

डाकघरों में एक साल की एफडी पर अब 6.9 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा, और दो साल की अवधि के लिए 7 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा। वहीं तीन साल के लिए किए गए एफडी पर भी 7 फीसदी का ही ब्याज दिया जाएगा लेकिन पांच के कार्यकाल के लिए निवेशकों को 7.5 फीसदी का ब्याज मिलेगा।

टैक्स में मिलता है छूट

डिपॉजिटर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये की आयकर छूट का भी दावा कर सकते हैं। हालांकि, ये छूट केवल पांच साल की लॉक-इन अवधि के लिए उपलब्ध हैं।

किसके लिए क्या सही?

एफडी और पीपीएफ दोनों ही निवेशकों के लिए निवेश का एक अच्छा रास्ता है। पीपीएफ उन लोगों द्वारा पसंद किया जाता है जो लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं। चूंकि पीपीएफ सरकार के द्वारा समर्थित है इसलिए इसमें एफडी में मुकाबले सुरक्षा ज्यादा है। हालांकि पीपीएफ15 साल की बेहद लंबी लॉक-इन अवधि के साथ आता है।

वहीं अगर बात एफडी की करें तो पीपीएफ की तुलना में एफडी ज्यादा तरल हैं क्योंकि यह आपको कार्यकाल तय करने की सुविधा देती है।

टैक्स-सेविंग एफडी में 5 साल का लॉक-इन होता है। लेकिन एफडी में कुछ जोखिम होता है और आप जो ब्याज कमाते हैं उस पर टैक्स भी लगता है। आपको इन दोनों में से किसी में भी निवेश करने से पहले अपने जरूरतों के बारे में जरूर सोचना चाहिए।