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दस हजार मेगावाट की ग्रिड कनेक्टेड बैटरी स्टोरेज क्षमता लगाने की तैयारी, भारत में बढ़ रहा इलेक्टि्रक वाहनों का प्रचलन

इंडिया इनर्जी स्टोरेज एलायंस (आइईएसए) की तरफ से आयोजित एक सेमिनार में मित्तल ने बताया कि सरकार पहले ही इलेक्टि्रक वाहनों के लिए जरूरी बैट्रियों के घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन करने की नीति लागू कर चुकी है। भारत में सिर्फ सरकार के स्तर पर ही बैट्री निर्माण का काम नहीं हो रहा बल्कि जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक कई लैब और स्टार्ट अप भी है।

By Jagran News Edited By: Mrityunjay Chaudhary Updated: Sat, 05 Oct 2024 10:00 PM (IST)
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2023 में भारत ने चीन से 3.6 अरब डॉलर मूल्य की लीथियम बैट्रियों का आयात किया था

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही स्टेशनरी इनर्जी स्टोरेज (एसईएस) क्षमता लगाने के पहले चरण पर काम शुरू करने जा रही है। इसके तहत पहले चरण में देश में 10 हजार मेगावाट क्षमता के एसईएस लगाने के लिए जल्द ही प्रस्ताव आमंत्रित किये जाएंगे। ये बेहद अत्याधुनिक किस्म की बैट्री स्टोरेज संयंत्र होंगे, जो भारत के राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़े होंगे और जरूरत के हिसाब से इन बैट्रियों से बिजली की आपूर्ति ली जाएगी।

बड़े योजना पर हो रहा काम

भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव विजय मित्तल के मुताबिक इनर्जी स्टोरेज क्षमता लगाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और नीति आयोग के साथ एक वृहद योजना पर काम हो रहा है। इंडिया इनर्जी स्टोरेज एलायंस (आइईएसए) की तरफ से आयोजित एक सेमिनार में मित्तल ने बताया कि सरकार पहले ही इलेक्टि्रक वाहनों के लिए जरूरी बैट्रियों के घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन करने की नीति लागू कर चुकी है।

भारत में बढ़ रहा इलेक्टि्रक वाहनों का प्रचलन

वर्ष 2070 तक देश को नेट जीरो (शून्य प्रदूषण) का लक्ष्य हासिल करने के लिए घरेलू स्तर पर बैट्री निर्माण की प्रक्रिया औ्र तेज करनी होगी। जिस तेजी से भारत में इलेक्टि्रक वाहनों का प्रचलन बढ़ रहा है उसे देखते हुए वर्ष 2032 तक 6-9 लाख मेगावाट ऊर्जा क्षमता लीथियम बैट्री से बनानी होगी। सरकार की मदद से तकरीबन 40 हजार मेगावाट ऊर्जा क्षमता की बैट्री प्लांट लगाने पर काम शुरू हो चुका है। दरअसल, भारत में सिर्फ सरकार के स्तर पर ही बैट्री निर्माण का काम नहीं हो रहा बल्कि जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक कई लैब और स्टार्ट अप भी इस क्षेत्र में बहुत ही उल्लेखनीय शोध कर रहे हैं।

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लिथियम प्रौद्योगिकी बढ़ेगी

लिथियम प्रौद्योगिकी की क्षमता को बेहतर बनाने पर काम हो रहा है। आइईएसए का कहना है कि हाल ही में लीथियम सल्फर पर आधारित प्रौद्योगिकी को लेकर भारतीय स्टार्ट अप ने काफी संभावनाओं वाली प्रगति की है। तीन-चार वर्ष पहले तक बैट्री निर्माण की अधिकांश क्षमता चीन में ही लग रही थी लेकिन अब स्थिति बदल रही है।

छह-सात वर्षों चीन की करेगा बराबरी

वैश्विक कंपनियां भारत को एक बेहतर विकल्प के तौर पर देख रही हैं। हालांकि चीन की मौजूदा बैट्री निर्माण की क्षमता नौ लाख मेगवााट है। यह क्षमता भारत अगले छह-सात वर्षों में हासिल करने की मंशा रखता है। इससे साफ पता चलता है कि चीन कितना आगे है। भारत में इलेक्टि्रक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है लेकिन इनमें इस्तेमाल होने वाली 85 फीसद से ज्यादा बैट्रिया चीन से आ रही हैं। वर्ष 2023 में भारत ने चीन से 3.6 अरब डॉलर मूल्य की लीथियम बैट्रियों का आयात किया था।