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आम जनता को मिलेगी बड़ी राहत! 100 से अधिक वस्तुओं पर GST घटाने की तैयारी

जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने आम जनता को राहत देने के लिए कई वस्तुओं पर टैक्स रेट कम करने पर विचार किया। इनमें साइकिल से लेकर बोतलबंद पानी तक कई चीजें हैं। सभी मंत्री इस बात पर एकमत दिखे कि जनता को राहत मिले। वहीं बीमा प्रीमियम पर जीएसटी कम करने पर निर्णय लेने के लिए गठित मंत्रिसमूह की बैठक 19 अक्टूबर को होगी।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 26 Sep 2024 07:32 PM (IST)
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अभी जीएसटी प्रणाली एक चार स्तरीय कर संरचना है, जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की स्लैब हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। 100 से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दरों को घटाया जा सकता है। बुधवार को जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने इस मुद्दे पर विचार किया। बैठक में आम आदमी को राहत देने के लिए साइकिल और बोतलबंद पानी सहित कुछ अन्य वस्तुओं पर कर की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत पर भी चर्चा की गई। इस दौरान 12 प्रतिशत स्लैब में शामिल चिकित्सा और फार्मा से संबंधित वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी का मुद्दा भी उठा और इस पर आगे होने वाली बैठक में विस्तृत चर्चा करने पर सहमति भी बनी।

क्या सस्ता होगा, क्या महंगा?

अभी साइकिल और उसके पुर्जे और सहायक उपकरण पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि ई-साइकिल पर पांच प्रतिशत कर लगता है। बैठक में शामिल पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि कर की दर कम करने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सोडा वाटर और पेय पदार्थों सहित कुछ अन्य वस्तुओं पर कर की दरों को मौजूदा 28 प्रतिशत और उस पर लगने वाले उपकर को बढ़ाने की संभावना पर भी चर्चा की गई।

चंद्रिमा ने कहा कि आम आदमी द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं पर कर की दरों को कम किया जाना चाहिए और खाद्य पदार्थों से जुड़ी चीजों को 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत के स्तर पर लाया जाना चाहिए।

टैक्स स्लैब में कमी को लेकर बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई। जीओएम में आम सहमति थी कि आम आदमी को राहत मिलनी चाहिए और इस बात पर भी सभी एकमत थे कि अगर आम आदमी से जुड़ी वस्तुओं पर कर की दरों को कम किया जाता है तो उससे होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए नए विकल्पों पर विचार करना चाहिए।

चंद्रिमा भट्टाचार्य, वित्त मंत्री, पश्चिम बंगाल

GST काउंसिल करेगी आखिरी फैसला

20 अक्टूबर को होने वाली बैठक के बाद जीओएम अपनी सिफारिशों को जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखेगा, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं। वर्तमान में जीएसटी प्रणाली एक चार स्तरीय कर संरचना है, जिसमें पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की स्लैब हैं।

हालांकि, जीएसटी कानून के अनुसार, वस्तुओं और सेवाओं पर 40 प्रतिशत तक का कर लगाया जा सकता है। जीएसटी के तहत आवश्यक वस्तुओं को या तो कर से छूट दी गई है या उन पर सबसे कम कर लगाया गया है। जबकि विलासिता से जुड़ी वस्तुओं पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत जीएसटी और उपकर लगता है।

इंश्योरेंस प्रीमियम पर घटेगी जीएसटी?

स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को कम करने पर निर्णय लेने के लिए गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) की पहली बैठक 19 अक्टूबर को होगी। मंत्रिसमूह को अक्टूबर के अंत तक जीएसटी काउंसिल को अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। मंत्री समूह की रिपोर्ट के आधार पर नवंबर में होने वाली अगली बैठक में बीमा प्रीमियम पर कराधान पर परिषद द्वारा अंतिम निर्णय लिए जाने की संभावना है।

जीएसटी परिषद ने इस महीने की शुरुआत में अपनी बैठक में स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर कर के बारे में निर्णय लेने के लिए 13 सदस्यीय मंत्री समूह गठित करने का निर्णय लिया था। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मंत्री समूह के संयोजक हैं। इस समिति में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना के मंत्री शामिल हैं।

एक अधिकारी ने बताया, मंत्रिसमूह को वरिष्ठ नागरिकों, मध्यम वर्ग, मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों जैसी विभिन्न श्रेणियों के लिए व्यक्तिगत, समूह, पारिवारिक फ्लोटर और अन्य चिकित्सा बीमा सहित स्वास्थ्य/चिकित्सा बीमा की कर दर का सुझाव देने को कहा गया है। दरअसल, सबसे पहले केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को हटाने की मांग की थी। इस पर उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भी लिखा था।

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