फंसे कर्जे को बट्टे खाते में डालने के बाद भी जारी रहेगी वसूली की प्रक्रिया, लोकसभा में वित्त मंत्रालय की सफाई
लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उक्त जानकारी देते हुए कहा है कि पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 7.15507 करोड़ रुपये की राशि बट्टे खाते में डाली है। इसके बावजूद बैंकों का सकल एनपीए मार्च 2018 में दर्ज 1036187 करोड़ रुपये के मुकाबले मार्च 2023 में घट कर 571515 करोड़ रुपये रह गया है।
By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Mon, 24 Jul 2023 08:33 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: बैंकों की तरफ से बट्टे खाते में बकाये कर्ज की राशि डालने का मुद्दा फिर गर्माने के बीच वित्त मंत्रालय ने सफाई दी है कि इस तरह का कदम आरबीआइ की तरफ से तय दिशानिर्देशों व बैंकों के निदेशक बोर्ड से अनुमोदित नीति के तहत उठाये जाते हैं। अगर किसी ग्राहक के बकाये कर्ज की राशि को बट्टे खाते में डाल दिया है तब भी उस ग्राहक से वसूली की प्रक्रिया जारी रहती है और उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं होता है।
करोड़ों की राशि बट्टे खाते में डाली
सोमवार को लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उक्त जानकारी देते हुए कहा है कि पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 7,15,507 करोड़ रुपये की राशि बट्टे खाते में डाली है। इसके बावजूद बैंकों का सकल एनपीए मार्च, 2018 में दर्ज 10,36,187 करोड़ रुपये के मुकाबले मार्च, 2023 में घट कर 5,71,515 करोड़ रुपये रह गया है।
आरबीआइ के दिशानिर्देशों पर काम
कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार ने 67.66 लाख करोड़ रुपये के कुल एनपीए में बट्टे खाते में डाली गई 12.10 लाख करोड़ रुपये की बर्बाद हुई राशि की वसूली की कार्रवाई की है। इस पर वित्त राज्य मंत्री ने कहा है कि आरबीआइ के दिशानिर्देशों और बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार किसी घोषित एनपीए के चार वर्ष पूरा होने पर उसे बट्टे खाते में डाल कर संबंधित बैंक के बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है।यह बैंकों की तरफ से अपने बैलेंस शीट को साफ-सुथरा करने की सामान्य प्रक्रिया है। यह उधारकर्ता को कर्ज की पुर्नअदाएगी करने के दायित्व से कोई छूट नहीं मिलती है। उधारकर्ता से बकाये कर्ज की वसूली की प्रक्रिया जारी रहती है, उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं होता है। बैंक न्यायालय, ऋण वसूली प्राधिकरण, सारफाएसी कानून और आइबीसी के जरिए कर्ज वसूल करने की कोशिश जारी रखते हैं।
आरबीआइ के नए फ्रेमवर्क का जिक्र
सरकार की तरफ से जून, 2022 में बकाये कर्जे को बट्टे खाते में डालने को लेकर आरबीआइ की तरफ से जारी नये फ्रेमवर्क का जिक्र भी किया गया है। इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य यह है कि बैंक अपने बोर्ड से इस बारे में ऐसी नीति अनुमोदित करायें जिससे उधार लेने वाले ग्राहक से अधिकतम कर्ज की वसूली हो सके।दरअसल, सोमवार को ही देश के कुछ मीडिया में आरटीआइ से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह खबर प्रकाशित की गई है कि पिछले पांच वर्षों में कुल 10.57 लाख करोड़ रुपये के बकाये कर्जे को बैंकों ने बट्टे खाते में डाला है। इसमें 2.09 लाख करोड़ रुपये की राशि वर्ष 2022-23 में डाली गई है।हालांकि सरकार की तरफ से सभा में यह बताया गया है कि कहना है कि विगत पांच वर्षों में 7,15,507 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गये हैं। कई विशेषज्ञ एनपीए के पिछले दस वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आने की वजह यह भी बताते हैं कि बैंकों ने अपने खाते-बही को साफ सुथरा बनाने के लिए एनपीए को बट्टे खाते में डाला है। मार्च, 2018 में बैंकों की तरफ से वितरिक कुल कर्ज का 11.18 फीसद एनपीए था जबकि मार्च, 2023 में यह घट कर 3.87 फीसद रह गया है।