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एनपीए आया काबू में तो खिल उठे सरकारी बैंक, मुनाफे में 50 फीसद की वृद्धि: निर्मला सीतारमण

12 सरकारी बैंकों को पहली छमाही में 41 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि फंसे कर्ज को कम करने के सरकार के प्रयासों का परिणाम मिल रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Mon, 07 Nov 2022 07:53 PM (IST)
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Profits of public sector banks soar to Rs 25685 cr in Q2 Efforts
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सरकारी बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन से अगर शेयर बाजार गुलजार है तो केंद्र सरकार भी गदगद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के भारी भरकम मुनाफा होने का पूरा श्रेय सरकार की नीतियों को और खास तौर पर फंसे कर्जे (नान-परफॉर्मिंग एसेट्स-एनपीए) को काबू में करने की सफल नीति को दिया है। उन्होंने खास तौर पर भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का जिक्र किया है।

वैसे सरकारी क्षेत्र के दर्ज भर बैंकों ने जुलाई से सितंबर, 2022 की तिमाही में कुल 25,685 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। जबकि पहली छमाही में इन बैंकों का शुद्ध लाभ 40,991 करोड़ रुपये का है। इनमें से कई बैंक ऐसे रहे हैं जिनके फंसे कर्जे की समस्या इतनी गंभीर हो गई थी कि आरबीआइ ने वर्ष 2013-14 से इनके काम काज को सीमित कर दिया था।

सरकार की कोशिशों का असर

सोमवार को शेयर बाजार में भी सरकारी बैंक की धूम रही। सेंसेक्स में 230 अंकों की तेजी के लिए बैंकों के प्रति निवेशकों के रुझान को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। एसबीआइ के शेयरों में एक दिन में 3.44 फीसद का इजाफा हुआ है। सितंबर को समाप्त तिमाही में इसने 13,265 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। वित्त मंत्री ने सोशल मीडिया पर बताया है कि बैंकों के एनपीए में लगातार कमी करने और उनके वित्तीय तौर पर मजबूत बनाने की हमारी सरकार की कोशिशों का असर दिखाई देने लगा है। सभी 12 सरकारी बैंकों का दूसरी तिमाही में मुनाफा 50 फीसद की रफ्तार से और पहली छमाही में 31.6 फीसद की रफ्तार से बढ़ा है।

बढ़ा बैंकों का मुनाफा

एसबीआइ का मुनाफा 74 फीसद, बैंक ऑफ बड़ौदा का मुनाफा 58.70 फीसद, केनरा बैंक का 89 फीसद और यूको बैंक का मुनाफा 145 फीसद बढ़ा है। सरकारी क्षेत्र के 12 बैंकों में से सिर्फ दो (पीएनबी और बैंक ऑफ इंडिया) का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले घटा है। इसके पीछे इनका तर्क है कि इस वर्ष इन्होंने एनपीए के लिए ज्यादा प्रोविजनिंग की है। बैंकों को कुल एनपीए का एक खास हिस्सा अपने मुनाफे की राशि में से अलग निकाल कर रखनी पड़ती है। मसलन, पीएनबी ने इस तिमाही में 3,556 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग की है और बैंक ऑफ इंडिया ने 1,912 करोड़ रुपये की। इससे इन दोनों का मुनाफा घटा है।

सनद रहे कि पिछले पांच वर्षों में सरकारी क्षेत्र में कई तरह के सुधार लागू किए गए हैं। एकीकरण के जरिए सरकारी बैंकों की संख्या घटाई गई है। कोविड के बावजूद इन बैंकों का एनपीए काबू में है। मसलन, एसबीआइ का शुद्ध एनपीए (अग्रिम के अनुपात में) महज 0.80 फीसद है जो इस साल के शुरुआत में 1.52 फीसद था। बैंक ऑफ बड़ौका एनपीए अब 1.16 फीसद है जो सितंबर, 2021 में 2.83 फीसद था। यूको बैंक का एनपीए सितंबर, 2021 के मुकाबले सितंबर, 2022 की तिमाही में 3.77 फीसद से घट कर 1.99 फीसद रह गया है।