प्रमोटर अगर आम निवेशक बने तो होंगे बोर्ड से बाहर: सेबी
नई सूचीबद्ध कंपनियों में प्रमोटर्स को 10 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी रखने की इजाजत नहीं होगी
By Praveen DwivediEdited By: Updated: Fri, 23 Nov 2018 09:38 AM (IST)
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सार्वजनिक निवेशक का दर्जा मांगने वाले प्रमोटर्स के लिए नियमों में बदलाव किया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा 16 नवंबर को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कंपनी की सूचीबद्धता के माध्यम से सार्वजनिक निवेशक की कैटेगरी में आ गए प्रमोटर्स को अपनी सभी जिम्मेदारियां और विशेष अधिकार नए प्रबंधन को सौंप देने होंगे।
नई सूचीबद्ध कंपनियों में प्रमोटर्स को 10 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी रखने की इजाजत नहीं होगी। इसके साथ ही उन्हें सूचीबद्ध कंपनी के निदेशक बोर्ड में या प्रबंधन स्तर की जिम्मेदारी नहीं मिलेगी। अधिसूचना में सेबी ने कहा कि प्रमोटर के बजाय सार्वजनिक निवेशक के रूप में पहचान चाहने वालों को विल्फुल डिफॉल्टर या भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल्कुल नहीं होना चाहिए। इन कदमों का मकसद पूर्व प्रमोटर को कंपनी पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी भी तरह के नियंत्रण से वंचित करना है।गौरतलब है कि सेबी के निदेशक बोर्ड ने इस वर्ष सितंबर में एक बैठक के दौरान इन नियमों से संबंधित एक प्रस्ताव को अनुमोदन दिया था। सेबी के मुताबिक नए मानकों का मकसद मौजूदा नियमों को ज्यादा सरल और पारदर्शी बनाना है। कॉरपोरेट गवर्नेस पर सेबी द्वारा हाल ही में बैंकर उदय कोटक की अध्यक्षता में गठित कोटक कमेटी ने इस बारे में एक अहम सुझाव दिया था।
कमेटी का कहना था कि जो प्रमोटर अपनी कंपनी की दैनिक गतिविधियों में नियमित रूप से शिरकत नहीं करते, जिनकी प्रबंधन में बहुत दखलंदाजी नहीं है और कंपनी में जिनकी शेयरहोल्डिंग बहुत कम है, उन्हें पुन: परिभाषित कर सार्वजनिक निवेशक का दर्जा देने संबंधी एक तंत्र होना ही चाहिए।