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PSU Bank Privatization : निजी हाथों में जाने वाले दो सरकारी बैंक ला सकते हैं स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना

PSU Bank Privatization सूत्रों ने कहा निजी हाथों में जाने वाले बैंक अपना अतिरिक्त फ्लैब कम करने के लिए आकर्षक वीआरएस स्कीम लेकर आ सकते हैं। एक आकर्षक वीआरएस स्कीम उन्हें बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक निजी क्षेत्र की संस्थाओं द्वारा अधिग्रहण के लिए उपयुक्त बना देगा।

By Pawan JayaswalEdited By: Updated: Tue, 08 Jun 2021 07:18 PM (IST)
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PSU Bank Privatization P C : Pixabay
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार द्वारा निजीकरण के लिए चुने जाने वाले दो सरकारी बैंक एक आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) लेकर आ सकते हैं। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीती एक फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए दो सरकारी बैंकों (PSU Bank) और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण के प्रस्ताव की घोषणा की थी।

सूत्रों ने कहा, "निजी हाथों में जाने वाले बैंक अपना अतिरिक्त फ्लैब कम करने के लिए आकर्षक वीआरएस स्कीम लेकर आ सकते हैं। एक आकर्षक वीआरएस स्कीम उन्हें बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक निजी क्षेत्र की संस्थाओं द्वारा अधिग्रहण के लिए उपयुक्त बना देगी।"

बता दें कि वीआरएस कंपनी से जबरन बाहर निकलने का विकल्प नहीं है, बल्कि यह विकल्प उन लोगों के लिए है, जो अच्छे वित्तीय पैकेज के साथ जल्दी सेवानिवृत्ति लेना चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि यह कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के समेकन के समय पहले भी किया गया है।

बता दें कि हाल ही में नीति आयोग ने निजीकरण के लिए प्रस्तावित बैंकों की अपनी अंतिम सूची विनिवेश के लिए बने सचिवों के समूह को सौंपी है। यह समूह इन नामों पर विचार कर केंद्रीय कैबिनेट को अपनी सिफारिश सौंपेगा। बता दें कि इन नामों पर अंतिम फैसला केंद्रीय कैबिनेट लेगा।

माना जा रहा है कि प्रारंभिक तौर पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank), इन चार बैंकों का चयन किया है, जिनमें से दो का निजीकरण किया जाना है।

बता दें कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान दो PSU Banks व एक इंश्योरेंस कंपनी सहित पब्लिक सेक्टर कंपनियों की हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य पिछले साल के 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य से कम है।