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रेलवे ने ममता की एक और स्कीम को पटरी से उतारा

'इज्जत' पास की तरह रेलवे ने ममता बनर्जी की एक और लोकलुभावन स्कीम 'रेल यात्री सेवक' में कतरब्योंत कर दी है। रेलवे स्टेशनों पर बुजुर्गो व महिलाओं को सामान ढोने में सहूलियत के लिए ममता ने ट्रालियों से लैस रेल यात्री सेवकों की स्कीम शुरू की थी। मगर छह मई से इस स्कीम को बंद किया जा रहा है। इससे अब ट्रालि

By Edited By: Updated: Mon, 05 May 2014 09:17 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 'इज्जत' पास की तरह रेलवे ने ममता बनर्जी की एक और लोकलुभावन स्कीम 'रेल यात्री सेवक' में कतरब्योंत कर दी है। रेलवे स्टेशनों पर बुजुर्गो व महिलाओं को सामान ढोने में सहूलियत के लिए ममता ने ट्रालियों से लैस रेल यात्री सेवकों की स्कीम शुरू की थी। मगर छह मई से इस स्कीम को बंद किया जा रहा है। इससे अब ट्रालियों के लिए यात्रियों को कुलियों पर निर्भर रहना होगा।

रेल मंत्री के रूप में ममता बनर्जी द्वारा 2010-11 के रेल बजट में घोषित और 2011-12 में विस्तारित रेल यात्री सेवक स्कीम को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के सहयोग से चलाया जा रहा था। इसका मकसद बुजुर्गो और महिलाओं को कुलियों की मनमानी से बचाना और उन्हें उचित व निर्धारित शुल्क पर एयरपोर्ट जैसी आधुनिक ट्रॉली सेवा उपलब्ध कराना था।

एयरपोर्ट जैसी ट्रालियां खरीदने और प्रशिक्षित रेल यात्री सेवकों की तैनाती करने की जिम्मेदारी एसबीआइ को सौंपी गई थी। बदले में उसे ट्रालियों और चुनिंदा ठिकानों पर अपना विज्ञापन करने की सुविधा दी गई थी। इसकी शुरुआत सियालदह और हावड़ा स्टेशनों से की गई थी। बाद में नई दिल्ली, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस व मुंबई सेंट्रल, चेन्नई सेंट्रल व चेन्नई एग्मोर, अहमदाबाद, बेंगलूर सिटी और तिरुअनंतपुरम समेत आठ स्टेशनों पर इसका विस्तार किया गया था। मगर जब स्कीम की लोकप्रियता बढ़ी और तमाम स्टेशनों से इस सेवा की मांग आने लगी तो पिछले साल रेलवे बोर्ड ने यह कहते हुए इसे एक साल बाद बंद करने का संकेत दिया कि यदि एसबीआइ चाहेगा तो ही इसे और आगे बढ़ाया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, रेल यात्री सेवक स्कीम केवल हावड़ा व सियालदह में ही चल पा रही थी। लिहाजा, एसबीआइ ने इसमें आगे रुचि नहीं दिखाई। रेलवे बोर्ड ने अब इसे बंद करने और ट्राली सेवा को कुलियों के मार्फत आगे चलाने का निर्णय किया है।

अब एसबीआइ की बजाय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम और कॉरपोरेट घराने अपने सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत ट्रालियां उपलब्ध कराएंगे। प्रत्येक बड़े स्टेशन पर लगभग 50 ट्रालियां उपलब्ध कराई जाएंगी। कुली यात्रियों को तंग न करें और नाजायज शुल्क न वसूलें, इसके लिए कुछ ट्रालियां उप स्टेशन अधीक्षकों के अधिकार में रहेंगी, जो इन्हें ऐसे यात्रियों/सहयोगियों को उपलब्ध कराएंगे जो अपनी ट्राली खुद चलाने के इच्छुक होंगे।

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