Indian Railways Food: रेलवे के खाने को लेकर संसदीय समिति ने क्यों जताई नाराजगी? क्वालिटी को लेकर कह दी यह बात
Indian Railway रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘‘नीति में बार-बार बदलाव और खानपान इकाइयों का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी आईआरसीटीसी से रेलवे कौ और फिर आईआरसीटीसी को सौंपे जाने से यात्रियों को दी जाने वाली खानपान सेवाओं के प्रबंधन में अनिश्चितता की स्थिति बन गई।’’ अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति ने रेलवे की खानपान नीति और ट्रेनों में भोजन सेवाओं पर इसके प्रभाव की विस्तृत जांच की।
पीटीआई, नई दिल्ली। Food Quality in trains भारत में लंबी दूरी की यात्रा के लिए रेलवे सबसे सुगम साधन माना जाता है। देश में हर दिन लगभग 2.5 करोड़ लोग रेल यात्रा करते हैं। अगर लंबी दूरी की यात्रा में शानदार खाना भी मिल जाए तो क्या ही बात है। लेकिन रेलवे के खाने की अक्सर आलोचना होती है और ज्यादातर लोग इसकी शिकायत ही करते हैं। हालांकि प्रीमियम ट्रेनों जैसे राजधानी, शताब्दी और अब वंदे भारत में मिलने वाले खाने की कई लोग तारीफ भी करते हैं लेकिन ज्यादातर उससे संतुष्ट नहीं होते हैं।
अब एक संसदीय समिति ने भी रेलवे के खाने की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए हैं। लोक लेखा समिति ने हाल ही में लोकसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे की खानपान नीति में बार-बार बदलाव और मौजूदा नीति के कार्यान्वयन में कई विसंगतियों के कारण भोजन की गुणवत्ता, स्वच्छता और साफ-सफाई से समझौता हो रहा है।यह भी पढ़ें: रेलवे के लिए वरदान साबित होगा मोदी सरकार का यह फैसला, इन 6 राज्यों को होगा सीधा फायदा
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति ने रेलवे की खानपान नीति और ट्रेनों में भोजन सेवाओं पर इसके प्रभाव की विस्तृत जांच की। 'भारतीय रेलवे में खानपान सेवा' (Catering Service in Indian Railways) नाम से पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2005 की नीति में आईआरसीटीसी को सौंपी गईं और फिर 2010 की नीति के अनुसार जोनल रेलवे को हस्तांतरित कर दी गईं कई गतिविधियां 2017 की नीति में फिर आईआरसीटीसी को वापस सौंप दी गईं।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘‘नीति में बार-बार बदलाव और खानपान इकाइयों का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी आईआरसीटीसी से रेलवे कौ और फिर आईआरसीटीसी को सौंपे जाने से यात्रियों को दी जाने वाली खानपान सेवाओं के प्रबंधन में अनिश्चितता की स्थिति बन गई।’’
रिपोर्ट में कही गईं मुख्य बातें
- रिपोर्ट में बताया गया है कि 2005 से 2017 के बीच रेलवे की खानपान नीति में कई बदलाव किए गए। इस दौरान कैटरिंग गतिविधियों को आईआरसीटीसी से जोनल रेलवे को, फिर वापस आईआरसीटीसी को सौंपने जैसे फैसले लिए गए।
- रेलवे की विभिन्न जोनल इकाइयों द्वारा अपनी मर्जी से नीतिगत बदलाव किए जाने की भी रिपोर्ट में आलोचना की गई। इससे अलग-अलग ट्रेनों में खानपान व्यवस्था की गुणवत्ता में असमानता पैदा हुई।
- रिपोर्ट यह भी बताती है कि कुछ लंबी दूरी की ट्रेनों में पैंट्री कार नहीं होने से भोजन की गुणवत्ता प्रभावित हुई। कई मामलों में भोजन को रास्ते में लंबे समय तक रखा जाता है, जिससे स्वच्छता संबंधी चिंताएं बनी रहती हैं।
- रिपोर्ट में पाया गया कि रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में अनधिकृत विक्रेताओं की मौजूदगी भी भोजन की गुणवत्ता और यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
समिति ने की ये सिफारिशें
- रेलवे की खानपान नीति में स्थिरता लाने की जरूरत है। लगातार हो रहे बदलावों से कैटरिंग कंपनियां लंबे समय के लिए निवेश से बचती हैं, जिसका असर खाने की गुणवत्ता पर पड़ता है।
- रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू करने की जरूरत है। सभी कैटरिंग सेवा प्रदाताओं को लाइसेंस और नियामक मानकों का पालन करना अनिवार्य होना चाहिए।
- अनधिकृत विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और ट्रेनों एवं स्टेशनों पर उनकी मौजूदगी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।
- रेलवे यात्रियों की शिकायतों का त्वरित निवारण के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
बताए गए मुद्दों का नहीं हुआ समधान तो ये होगा असर
- रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों का अगर समाधान नहीं किया गया तो यात्रियों को घटिया और अस्वच्छ खाना ही मिलता रहेगा।
- खानपान सेवाओं में भ्रष्टाचार से रेलवे को आर्थिक नुकसान हो सकता है और यात्रियों का भरोसा कम हो सकता है।
- भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार से रेलवे यात्रा को अधिक सुखद और सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी।
अब क्या हो सकता है आगे?
- रेल मंत्रालय को संसदीय समिति की रिपोर्ट पर विचार करना चाहिए और उसकी सिफारिशों को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
- रेल यात्रियों को भी जागरूक होना चाहिए और खराब खानपान सेवाओं की शिकायत संबंधित अधिकारियों से करनी चाहिए।
- भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार के लिए रेलवे, कैटरिंग सेवा प्रदाता और यात्री समुदाय को मिलकर काम करना होगा।