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Indian Railways: पैसेंजर से लेकर प्रीमियम तक, इतनी तरह की ट्रेनें चलाता है रेलवे, किस-किस की सवारी की है आपने?

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे व्यापक रेल नेटवर्क में से एक है जो हर दिन करोड़ों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाता है। यात्रियों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रेलवे विभिन्न प्रकार की ट्रेनें चलाता है। 1980 के दशक से भारतीय रेल नेटवर्क ने आधुनिकीकरण की राह पकड़ी। इस दौरान सुपरफास्ट ट्रेनें भी लॉन्‍च की गईं जिससे प्रमुख शहरों के बीच यात्रा का समय कम हुआ।

By Praveen Prasad Singh Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Tue, 19 Mar 2024 08:06 PM (IST)
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याात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेल 20 से भी ज्‍यादा तर की ट्रेनों का संचालन करता है।
डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। अक्‍सर जब हम रेल यात्रा करते हैं, तो रास्‍ते में या फिर किसी स्‍टेशन पर कई ट्रेनें क्रॉस करती दिखती हैं। उनमें से कई अलग-अलग तरह की भी दिखती हैं। किसी का रंग लाल, तो किसी का नीला या हरा और पीला भी होता है। ऐसे में प्रश्‍न उठता है कि रेलवे आखिर कितनी तरह की ट्रेनें चलाता है? आपके मन में भी कभी न कभी ये सवाल जरूर उठा होगा। इस लेख के माध्‍यम से हम आपकी उसी उलझन को दूर करने की कोशिश करेंगे।

करीब 160 साल पहले जब भारत में यात्री रेल सेवा की शुरुआत हुई थी, तब ट्रेन के डिब्‍बे लकड़ी से बना करते थे। भाप के इंजन से चलने वाली इन ट्रेनों में यात्रा का अनुभव आज की तुलना में कहीं अधिक धीमा और कम आरामदायक था। उस वक्‍त प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और थर्ड श्रेणी के डिब्बे उपलब्ध थे। प्रथम श्रेणी डिब्बे अधिक आरामदायक थे और मुख्य रूप से यूरोपीय यात्रियों के लिए आरक्षित रहा करते थे। हालांकि, तब रेलवे का विस्‍तार उतना नहीं था और तुलनात्‍मक रूप से कम ही लोग रेल यात्रा करते थे।

आजादी के बाद देश में रेल नेटवर्क का विस्‍तार शुरू हुआ, जिसके साथ ही रेल यात्रियों की संख्‍या भी बढ़ने लगी। इसके साथ ही यात्री सुविधाओं पर भी ध्‍यान दिया जाने लगा। ट्रेन की बोगियों में पंखे और बेहतर लाइटों की व्‍यवस्‍था की गई। 1980 के दशक से, भारतीय रेल नेटवर्क ने आधुनिकीकरण की राह पकड़ी। इस दौरान सुपरफास्ट ट्रेनें भी लॉन्‍च की गईं, जिससे प्रमुख शहरों के बीच यात्रा का समय कम हुआ। इसके साथ ही राजधानी और शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों ने यात्रियों को बेहतर आराम और लग्‍जरी सुविधाएं प्रदान कीं। और अब तो वंदे भारत ट्रेनों के रूप में भारतीय रेलवे के एक नए युग की शुरुआत हो रही है।

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे व्यापक रेल नेटवर्क में से एक है, जो हर दिन करोड़ों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाता है। यात्रियों की विभिन्न आवश्यकताओं और बजट को पूरा करने के लिए, भारतीय रेल विभिन्न प्रकार की ट्रेनों का संचालन करती है। आइए, जानते हैं कि भारत में कितनी तरह की ट्रेनें चलती हैं।

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वंदे भारत एक्‍सप्रेस

वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेल की सबसे आधुनिकतम ट्रेनें हैं, जो भारत में रेलवे को नया आयाम दे रहे हैं। पूरी तरह से स्‍वदेशी तकनीक से बनी ये ट्रेनें 'मेक इन इंडिया' का बेजोड़ उदाहरण हैं। ये पूरी तरह से वातानुकूलित, सेमी-हाई स्पीड, इंटरसिटी डे-ट्रेन है। इस ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे, वाई-फाई, हाइड्रोलिक प्रेशर दरवाजे, स्नैक टेबल जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। वर्तमान में यह देश की सबसे तेज ट्रेनों में से एक है।

इंटरसिटी ट्रेनें

कई शहरों के बीच इंटरसिटी ट्रेनें भी चलती हैं। इनमें अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में किराया तुलनात्‍मक रूप से कम होता है और इनमें आमतौर पर केवल बैठने की व्‍यवस्‍था यानी चेयर कार होते हैं, कोई बर्थ नहीं होती। ये ट्रेनें राज्य की राजधानियों को प्रमुख रेलवे जंक्शनों से जोड़ने का भी काम करती हैं। ये प्राय: छोटे मार्गों पर चलती हैं।

जनशताब्‍दी एक्‍सप्रेस

जनशताब्‍दी एक्‍सप्रेस ट्रेनें शताब्‍दी का ही किफायती वर्जन हैं। इन ट्रेनों में एसी और नॉन एसी दोनों ही विकल्‍प उपलब्‍ध होते हैं और शताब्‍दी की तरह ही ये भी सुपर फास्‍ट स्‍पीड से चलती हैं।

उपनगरीय ट्रेनें

ऐसी ट्रेनें महानगरों को उनके आस-पास के इलाकों से जोड़ने के लिए चलाई जाती हैं, ताकि वहां रह रहे लोगों को रोजाना के काम काज के लिए आने-जाने में सुविधा हो। मुंबई लोकल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इन ट्रेनों में आम तौर पर गैर-आरक्षित बैठने की व्यवस्था होती है और ये एक रूट के हर स्टेशन पर रुकती हैं। मुंबई में तो अब वातानुकूलित लोकल की सुविधा भी मौजूद है।

संपर्क क्रांति एक्‍सप्रेस

संपर्क क्रांति एक्‍सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत राजधानी एक्‍सप्रेस के सस्‍ते विकल्‍प के रूप में की गई थी। इन ट्रेनों के भी बहुत कम स्‍टॉपेज होते हैं और ये राज्‍य की राजधानी या किसी प्रमुख शहर को देश की राजधानी नई दिल्‍ली से जोड़ती हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है, ये जिस भी राज्‍य से शुरू होती हैं, इनके स्‍टॉपेज केवल उन राज्‍यों में ही होते हैं। उस राज्‍य से बाहर केवल ये टेक्निकल स्‍टॉपेज पर ही रुकती हैं।

माउंटेन रेलवे

देश के कुछ राज्‍यों में माउंटेन रेलवे भी संचालित होती है, जिनमें से कुछ को तो यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। ये रेलवे पहाड़ों से होकर गुजरती हैं और इनकी यात्रा सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र होती हैं। बता दें कि देश में कुल सात पर्वतीय रेलवे हैं, जिनमें से तीन को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है और इन्हें भारत की पर्वतीय रेलवे का नाम दिया गया है। ये हैं दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे उर्फ टॉय ट्रेन, कालका-शिमला रेलवे और नीलगिरि माउंटेन रेलवे।

गरीब रथ एक्‍सप्रेस

गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेनें किफायती, पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेनें हैं, जो रियायती दरों पर उच्च गति की कनेक्टिविटी प्रदान करती हैं। यात्रियों के बीच ये 'गरीबों की राजधानी एक्‍सप्रेस' जैसे नाम से भी जानी जाती है। ये तीन-स्तरीय, बिना तामझाम वाली, लंबी दूरी की ट्रेनें 140 किमी/घंटा की अधिकतम रफ्तार से चलती हैं।

राजधानी एक्‍सप्रेस

भारत में लंबी दूरी की यात्रा के लिए सबसे प्रीमियम ट्रेन मानी जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली को विभिन्न राज्‍यों की राजधानी से जोड़ती है। 130-140 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली यह ट्रेन पूरी तरह से वातानुकूलित होती है। साथ ही इनके स्‍टॉपेज काफी कम होते हैं, जिससे यात्रा में समय कम लगता है। इनमें थर्ड, सेकेंड और फर्स्‍ट एसी तक के कोच उपलब्‍ध होते हैं। वर्तमान में रेलवे द्वारा 24 जोड़ी राजधानी ट्रेनों का संचालन किया जाता है।

शताब्‍दी एक्‍सप्रेस

शताब्‍दी एक्‍सप्रेस ट्रेनें राजधानी की तुलना में छोटी और मध्‍यम दूरी की होती हैं और प्राय: दिन में ही यात्रा पूरी करती हैं और उसी दिन राउंड ट्रिप करती हैं। ये भी सुपर-फास्ट और पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेनें हैं, जो प्रमुख भारतीय शहरों को जोड़ती हैं। इनमें केवल बैठने की व्‍यवस्‍था होती है यानी केवल चेयर कार ही होते हैं। वर्तमान में इस श्रृंखला में 25 जोड़ी ट्रेनें हैं।

दुरंतो एक्‍सप्रेस

राजधानी की तरह ही दुरंतो एक्‍सप्रेस भी प्रीमियम ट्रेनों की सूची में आती है, लेकिन दोनों में अंतर इतना है कि कुछ दुरंतो ट्रेनें गैर-वातानुकूलित स्लीपर क्लास के साथ भी चलती हैं। इन ट्रेनों की गति सीमा भी 130 किमी/घंटा है और ये कम स्टॉप के साथ चलती हैं। आज की तारीख में पटरियों पर 26 जोड़ी दुरंतो ट्रेनें दौड़ रही हैं।

राज्‍य रानी एक्‍सप्रेस

राज्य रानी एक्सप्रेस ट्रेनें राज्य की राजधानियों को विभिन्न प्रमुख शहरों से जोड़ने के लिए चलाई जाती हैं। ये शहर अधिकतर पर्यटन, तीर्थयात्रा या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन ट्रेनों की घोषण साल 2011 के रेल बजट में की गई थी। पहली राज्‍य रानी एक्‍सप्रेस मैसुरू से बेंगलुरु के बीच 1 जुलाई 2011 को चली थी।

गतिमान एक्‍सप्रेस

गतिमान एक्‍सप्रेस देश की सबसे तेज ट्रेन है, जिसकी रफ्तार 160 किमी/घंटा है। यह झांसी को नई दिल्‍ली से जोड़ती है। यह एक वातानुकूलित चेयर कार ट्रेन है जो वाई-फाई, जीपीएस-आधारित यात्री सूचना प्रणाली, फायर अलार्म, स्लाइडिंग दरवाजे और बायो-टॉयलेट जैसी विभिन्न आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें यात्रियों की सेवा के लिए ट्रेन होस्टेस भी हैं।

तेजस एक्‍सप्रेस

तेजस एक्सप्रेस भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन है, जिसे आईआरसीटीसी द्वारा संचालित किया जाता है। यह एक सेमी-हाईस्पीड ट्रेन है जिसे 24 मई 2017 को लॉन्च किया गया था। पहली तेजस एक्सप्रेस ट्रेन मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन से गोवा के करमाली रेलवे स्टेशन तक चली थी। तब से तेजस एक्सप्रेस लाइनअप में अधिक से अधिक ट्रेनें जोड़ी गई हैं। ये ट्रेनें पूरी तरह से वातानुकूलित प्रीमियम सुपरफास्ट ट्रेनें हैं। ये राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनों के साथ भारतीय रेलवे की प्राथमिकता सूची में बने हुए हैं।

लग्‍जरी ट्रेनें

रेलवे कुछ लग्‍जरी ट्रेनें भी चलाता है जिनकी सवारी करने के लिए दुनिया भर से पर्यटक भारत आते हैं। पैलेस ऑन व्हील्स, रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, महाराजा एक्सप्रेस, डेक्कन ओडिसी, गोल्डन चैरियट और महापरिनिर्वाण एक्सप्रेस भारतीय रेलवे द्वारा संचालित कुछ लग्‍जरी ट्रेनें हैं। दिल्‍ली से अलवर के बीच चलने वाली फेयरी क्वीन भी एक लग्जरी ट्रेन है जिसे दुनिया के सबसे पुराने भाप इंजन द्वारा चलाया जाता है।

इनके अलावा भी रेलवे एसी एक्‍सप्रेस,सुपरफास्‍ट, पैसेंजर, कवि गुरु इत्‍यादि ट्रेनें भी चलाता है। किसी जमाने में मेल ट्रेनें भी चला करती थीं, लेकिन अब लगभग लंबी दूरी की सभी ट्रेनों का इस्‍तेमाल मेल सेवा के लिए किया जाता है।