Ratan Tata Birthday: टाटा को ग्लोबल ब्रांड बनाने वाले रतन टाटा मना रहे 85वां जन्मदिन, दुनिया में छोड़ी छाप
Ratan Tata Happy Birthday रतन टाटा आज 85 साल के हो गए हैं। उनके विजन के कारण टाटा ग्रुप दुनिया में एक बड़ा कारोबारी समूह बन चुका है। उनके नेतृत्व में टाट ग्रुप ने जगुआर और लैंड रोवर टेटली और कोरस स्टील जैसी बड़ी कंपनियों किया है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Ratan Tata Turn 85 देश के सबसे बड़े कारोबारियों में से एक टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा आज (28 दिसंबर) को अपना 85 वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक कारोबारी होने के साथ उन्होंने देश के विकास के लिए कई बड़े कार्य किए हैं। इस कारण देश का हर छोटा- बड़ा कारोबारी और युवा उन्हें अपना आदर्श मानता है।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ था। वह 1959 में आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय गए और 1962 में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स में जोन्स और एम्मन्स के साथ छोटी अवधि के लिए काम किया था।
टाटा स्टील से की थी करियर की शुरुआत
रतन टाटा ने 1962 में टाटा स्टील की जमशेदपुर शाखा से पहले करियर की शुरुआत की थी, जिसके बाद वह 1975 में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल चले गए थे।
टाटा को दी नई दिशा
1991, भारत के साथ टाटा ग्रुप के लिए काफी महत्वपूर्ण था। इस दौरान देश निजीकरण और उदारीकरण जैसे प्रमुख सुधार लागू हुए। वहीं, इसी वर्ष टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप के पदभार संभाला था। रतन टाटा की लीडरशिप में इस दौरान टाटा ने भारत से बाहर निकल पूरे विश्व में फैल गया। आज टाटा ग्रुप नमक से लेकर ट्रक निर्माण के कारोबार में है।
दुनिया की बड़ी कंपनियों को टाटा ने खरीदा
रतन टाटा की लीडरशिप में 2000 में टाटा ने टेटली के अधिग्रहण से शुरुआत करते हुए मात्र नौ वर्षों में 36 कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया था। इस दौरान उनकी नेतृत्व में टाटा स्टील की ओर से किए गए कोरस स्टील का अधिग्रहण और टाटा मोटर्स की ओर से लक्जरी कार कंपनी जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण सबसे प्रमुख माना जाता है।
रतन टाटा की नेट वर्थ
पिछले साल आई आईआईएफएल हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में रतन टाटा की संपत्ति को 3500 करोड़ रुपये के करीब बताया गया था। इतनी संपत्ति के साथ वे देश के 433वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। रतन टाटा की संपत्ति कम होने की बड़ी वजह उनकी ओर से की जाने वाली परोपकारी गतिविधियां हैं।
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