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नमक से लेकर हवाई जहाज तक फैला है टाटा ग्रुप का बिजनेस, रतन टाटा ने बुलंदियों तक कैसे पहुंचाया

पद्म विभूषण से सम्मानित देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का बुधवार देर रात देहांत हो गया। टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने उनके स्वर्गवास पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा ने न सिर्फ टाटा ग्रुप बल्कि देश को भी एक नई दिशा दी है। आइए जानते हैं कि रतन टाटा ने अपना कारोबारी सफर कैसे शुरू किया और टाटा ग्रुप को कैसे आगे बढ़ाया।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 10 Oct 2024 01:05 PM (IST)
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रतन टाटा साल 1991 में टाटा संस (Tata Sons) और टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। 'भारत का पहला प्राइवेट स्‍टील प्‍लांट किसने लगाया, पहला फाइव स्‍टार होटल किसने बनाया, पहला पावर प्‍लांट, पहली सॉफ्टवेयर कंपनी, पहली कार मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की नींव किसने रखी... वो रोल मॉडल हैं। संपत्ति क्‍या है? वे समाज की भलाई के लिए पैसा कमा रहे हैं। इससे अच्‍छा काम भला एक इंसान और क्‍या कर सकता है। इसीलिए वे जिंदगी में मेरे रोल मॉडल हैं।'

रतन टाटा के बारे में ये शब्द थे भारतीय शेयर मार्केट के 'बिग बुल' कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला के। इसी से रतन टाटा की शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि रतन टाटा का कारोबारी सफर कैसे शुरू हुआ और उन्होंने टाटा ग्रुप को बुलंदियों के मुकाम पर कैसे पहुंचाया?

रतन टाटा का कारोबारी सफर

रतन टाटा पढ़ाई खत्म करने के बाद सीधे टाटा ग्रुप से नहीं जुड़े। उनकी पहली नौकरी अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी- इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉर्पोरेशन (IBM) में थी। इसकी भनक उनके परिवार को भी नहीं थी। जब टाटा ग्रुप के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा (JRD Tata) को रतन टाटा की नौकरी का पता चला, तो वह काफी नाराज हुए।

उन्होंने रतन टाटा को फोन किया और अपना बायोडाटा शेयर करने को कहा। उस वक्त रतन टाटा के पास अपना बायोडाटा भी नहीं था। उन्होंने आईबीएम में ही टाइपराइटर पर अपना बायोडाटा बनाया और उसे जेआरडी टाटा के पास भेजा। इसके बाद 1962 में टाटा ग्रुप से आधिकारिक तौर पर जुड़े। वह भले ही टाटा परिवार के सदस्य थे, लेकिन उन्होंने पहले निचले स्तर पर काम करके तजुर्बा लिया।

रतन टाटा साल 1991 में टाटा संस (Tata Sons) और टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने। उनकी अगुआई में टाटा ग्रुप ने नई बुलंदियों को छुआ। रतन टाटा ने 21 साल तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया। उन्होंने 2012 में चेयरमैन का पद छोड़ दिया, लेकिन टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, और टाटा केमिकल्स के चेयरमैन एमेरिटस बने रहे। उनके मार्गदर्शन में इन कंपनियों ने बुलंदी के नए मुकाम को छुआ।

कितनी संपत्ति छोड़ गए रतन टाटा

Tata Group का कारोबार दुनिया में फैला हुआ है। इसका दखल रसोई का नमक बनान से लेकर आसमान में हवाई जहाज उड़ाने तक है। टाटा ग्रुप के पास 100 से अधिक लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियां हैं। इनका कुल बिजनेस तकरीबन 300 अरब डॉलर का है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिवंगत रतन टाटा (Ratan Tata Net Worth) अपने पीछे अनुमानित तौर पर करीब 3800 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं।

रतन टाटा की परोपकार कार्यों में गहरी दिलचस्पी थी। उनकी दरियादिली की अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान में जाता था। ये दान टाटा ट्रस्ट होल्डिंग कंपनी के तहत होता था। रतन टाटा हर मुश्किल के वक्त देश के लोगों के साथ खड़े रहते थे। फिर चाहे वह 2004 की सुनामी हो, या फिर कोरोना महामारी का प्रकोप।

रतन टाटा अपने सामाजिक कार्यों के साथ आर्थिक तंगी से जूझने वाले छात्रों की भी आगे बढ़ने में मदद करते थे। उनका ट्रस्ट मेधावी छात्रों को पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देता है। यह स्कॉलरशिप J.N. Tata Endowment, Sir Ratan Tata Scholarship और Tata Scholarship के माध्यम से दी जाती है।

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