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Shantanu Naidu: कौन हैं शांतनु नायडू? रतन टाटा के देहांत के बाद क्यों सुर्खियों में आया नाम

Ratan Tata assistant Shantanu Naidu देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का बुधवार देर रात देहांत हो गया। वह 86 साल के थे। रतन टाटा के स्वर्गवास के बाद 28 साल के शांतनु नायडू का नाम भी सुर्खियों में आ गया। आइए जानते हैं कि शांतनु नायडू कौन हैं और वह उम्र का बड़ा फासला होने के बाद भी रतन टाटा के करीबी लोगों में कैसे शुमार हुए।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 10 Oct 2024 03:32 PM (IST)
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शांतनु नायडू काफी वक्त तक रतन टाटा के असिस्टेंट रहे।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में न जाने कितने युवा और अनुभवी उद्योगपति तरसते रहे होंगे कि उन्हें रतन टाटा (Ratan Tata) से कोई कारोबारी सलाह मिल जाए। लेकिन, एक नौजवान भी है, जो निवेश से जिंदगी तक के तमाम मसलों पर दिवंगत रतन टाटा को मशविरा देता था। उस शख्स का नाम है, शांतनु नायडू (Shantanu Naidu)।

कौन हैं शांतनु नायडू 

शांतनु नायडू काफी वक्त तक रतन टाटा के असिस्टेंट रहे। 28 साल के शांतनु का टाटा परिवार से कोई नाता नहीं। लेकिन, सबसे दिलचस्प बात यह है कि खुद रतन टाटा ने फोन करके शांतुन को अपने साथ काम करने का न्योता दिया। रतन टाटा के शांतनु के शब्द थे, 'आप जो काम करते हैं, मैं उससे काफी प्रभावित हूं। क्या आप मेरा असिस्टेंट बनना चाहेंगे।'

क्या काम करते थे शांतनु

शांतनु पशुप्रेमी हैं। उन्होंने आवारा कुत्तों के लिए एक रिफ्लेक्टर बनाया था, डॉग कॉलर। इसका मकसद था आवारा कुत्तों को सड़क दुर्घटनाओं से बचाना। दरअसल, आवारा कुत्ते कई बार सड़क हादसों का शिकार हो जाते थे, क्योंकि ड्राइवर उन्हें देख नहीं पाते थे। शांतनु का बनाया डॉग कॉलर कुत्तों के गले में चमकता और ड्राइवर उन्हें देखकर रफ्तार धीमी कर देते। इससे सैकड़ों कुत्तों की जान बची।

शांतनु ने डॉग कॉलर कैसे बनाया

शांतनु के पास डॉग कॉलर बनाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। लिहाजा, उन्होंने कॉलर बनाने के लिए बेस मैटेरियल के रूप में डेनिम पैंट का इस्तेमाल करने का फैसला किया। उन्होंने घर-घर जाकर पुराने डेनिम पैंट जुटाए। उन्होंने पुणे में 500 रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाकर कुत्तों पहनाया। इन कॉलर की वजह से स्ट्रीट डॉग को रात में बिना स्ट्रीट लाइट के भी ड्राइवर्स दूर से ही देख सकते थे। शांतनु के काम को काफी सराहा गया।

रतन टाटा से कैसे मिले शांतनु

शांतनु ने अपने डॉग कॉलर के बारे में एक फेसबुक पोस्ट में लिखा। मीडिया में भी उनके काम की रिपोर्ट हुई। शांतनु का काम रतन टाटा तक भी पहुंचा और वे शांतनु से काफी प्रभावित हुए। रतन टाटा भी पशप्रेमी हैं और उन्हें खासतौर पर कुत्तों से काफी लगाव है। उन्होंने शांतनु को खुद फोन करके बुलाया और अपना असिस्टेंट बनने का ऑफर दिया।

रतन टाटा के लिए क्या करते थे शांतनु

शांतनु की लिंक्डइन प्रोफाइल बताती है कि वह जून 2017 से टाटा ट्रस्ट में काम कर रहे हैं। उन्होंने टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर भी काम किया है। वह टाटा ट्रस्ट के उप महाप्रबंधक भी हैं। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए करने वाले शांतनु नायडू टाटा ग्रुप में काम करने वाली अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं। वह रतन टाटा को स्टार्टअप में निवेश करने जैसे मसलों पर भी सलाह देते थे।

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