Move to Jagran APP

Shantanu Naidu: जब रतन टाटा जैसी शर्ट खरीदने के लिए शांतनु ने खर्च कर दी थी अपनी आधी सैलरी

Ratan Tata assistant Shantanu Naidu 31 साल के शांतनु नायडू रतन टाटा के काफी करीब समझे जाते थे। उन्हें खुद रतन टाटा ने अपने साथ काम करने का ऑफर दिया था। शांतनु का कहना है कि एक बार उन्होंने रतन टाटा के फेवरिट ब्रांड की शर्ट खरीदने के लिए महीने की आधी सैलरी खर्च कर दी थी। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या था।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 11 Oct 2024 06:49 PM (IST)
Hero Image
शांतनु नायडू काफी वक्त तक रतन टाटा के असिस्टेंट रहे।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में न जाने कितने युवा और अनुभवी उद्योगपति तरसते रहे होंगे कि उन्हें रतन टाटा (Ratan Tata) से कोई कारोबारी सलाह मिल जाए। लेकिन, एक नौजवान भी है, जो निवेश से जिंदगी तक के तमाम मसलों पर दिवंगत रतन टाटा को मशविरा देता था। उस शख्स का नाम है, शांतनु नायडू (Shantanu Naidu)।

शांतनु नायडू टाटा के सबसे करीबी लोगों में गिने जाते हैं। उन्होंने रतन टाटा जैसी शर्ट पहनने के लिए अंतिम महीने की आधी सैलरी खर्च करनी पड़ गई थी। शांतनु ने साल 2021 में अपने संस्मरण में रतन टाटा से मुलाकात और शर्ट समेत कई किस्से साझा किए थे।

क्या था पूरा मामला

शांतनु बताते हैं कि वह कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए जाने वाले थे। उन्होंने रतन टाटा से मिलने का अनुरोध किया। रतन टाटा ने भी उनके अनुरोध को टाला नहीं और उन्हें डिनर के लिए बुलाया। शांतनु इस खास मुलाकात के लिए ब्रूक्स ब्रदर्स (Brooks Brothers) ब्रांड की शर्ट पहनकर पहुंचे थे।

ब्रूक्स ब्रदर्स को रतन टाटा का सबसे फेवरिट ब्रांड कहा जाता है। इस 200 साल पुरानी मेन्स वियर कंपनी ने 40 अमेरिकी प्रेसिडेंट के लिए भी कपड़े तैयार किए। नायडू ने बताया है कि जब उन्होंने टाटा को ब्रूक्स ब्रदर्स की शर्ट पहने देखा था, तो उन्होंने भी इस ब्रांड की एक शर्ट खरीदी थी। उन्हें शर्ट खरीदने के लिए 'अंतिम महीने की आधी सैलरी खर्च करनी पड़ गई थी।'

जब शर्ट के पैसे देने के लिए हुई बहस 

जब शांतनु अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे, तब भी उनकी रतन टाटा से मुलाकात होती रहती थी। रतन टाटा को जब पता लगा कि एक कील की वजह से शांतनु की कीमती ब्रूक्स ब्रदर्स की शर्ट फट गई है, तो उन्होंने वैसी ही शर्ट खोजी तलाश। दोनों के बीच इस बात पर बहस हो गई कि  शर्ट के पैसे कौन देगा। रतन टाटा ने आखिर में जवाब दिया, 'क्या मैं अपने दोस्त के लिए शर्ट भी नहीं खरीद सकता?'

कौन हैं शांतनु नायडू

शांतनु नायडू काफी वक्त तक रतन टाटा के असिस्टेंट रहे। 31 साल के शांतनु का टाटा परिवार से कोई नाता नहीं। लेकिन, सबसे दिलचस्प बात यह है कि खुद रतन टाटा ने फोन करके शांतुन को अपने साथ काम करने का न्योता दिया। रतन टाटा के शांतनु के शब्द थे, 'आप जो काम करते हैं, मैं उससे काफी प्रभावित हूं। क्या आप मेरा असिस्टेंट बनना चाहेंगे।'

क्या काम करते थे शांतनु

शांतनु पशुप्रेमी हैं। उन्होंने आवारा कुत्तों के लिए एक रिफ्लेक्टर बनाया था, डॉग कॉलर। इसका मकसद था आवारा कुत्तों को सड़क दुर्घटनाओं से बचाना। दरअसल, आवारा कुत्ते कई बार सड़क हादसों का शिकार हो जाते थे, क्योंकि ड्राइवर उन्हें देख नहीं पाते थे। शांतनु का बनाया डॉग कॉलर कुत्तों के गले में चमकता और ड्राइवर उन्हें देखकर रफ्तार धीमी कर देते। इससे सैकड़ों कुत्तों की जान बची।

शांतनु ने डॉग कॉलर कैसे बनाया

शांतनु के पास डॉग कॉलर बनाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। लिहाजा, उन्होंने कॉलर बनाने के लिए बेस मैटेरियल के रूप में डेनिम पैंट का इस्तेमाल करने का फैसला किया। उन्होंने घर-घर जाकर पुराने डेनिम पैंट जुटाए। उन्होंने पुणे में 500 रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाकर कुत्तों पहनाया। इन कॉलर की वजह से स्ट्रीट डॉग को रात में बिना स्ट्रीट लाइट के भी ड्राइवर्स दूर से ही देख सकते थे। शांतनु के काम को काफी सराहा गया।

रतन टाटा से कैसे मिले शांतनु

शांतनु ने अपने डॉग कॉलर के बारे में एक फेसबुक पोस्ट में लिखा। मीडिया में भी उनके काम की रिपोर्ट हुई। शांतनु का काम रतन टाटा तक भी पहुंचा और वे शांतनु से काफी प्रभावित हुए। रतन टाटा भी पशप्रेमी हैं और उन्हें खासतौर पर कुत्तों से काफी लगाव है। उन्होंने शांतनु को खुद फोन करके बुलाया और अपना असिस्टेंट बनने का ऑफर दिया।

रतन टाटा के लिए क्या करते थे शांतनु

शांतनु की लिंक्डइन प्रोफाइल बताती है कि वह जून 2017 से टाटा ट्रस्ट में काम कर रहे हैं। उन्होंने टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर भी काम किया है। वह टाटा ट्रस्ट के उप महाप्रबंधक भी हैं। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए करने वाले शांतनु नायडू टाटा ग्रुप में काम करने वाली अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं। वह रतन टाटा को स्टार्टअप में निवेश करने जैसे मसलों पर भी सलाह देते थे।

यह भी पढ़ें : नमक से लेकर हवाई जहाज तक फैला है टाटा ग्रुप का बिजनेस, रतन टाटा ने बुलंदियों तक कैसे पहुंचाया