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IDFC First Bank और IDFC Ltd के मर्जर पर RBI ने लगाई मुहर, ऐसे होगा शेयरों का बंटवारा

IDFC First Bank और IDFC Ltd के बोर्ड ने जुलाई में रिवर्स मर्जर को मंजूरी दे दी है। प्रस्तावित रिवर्स मर्जर योजना के तहत एक आईडीएफसी शेयरधारक को बैंक में प्रत्येक 100 शेयरों के लिए 155 शेयर मिलेंगे। दोनों शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये है। विलय के बाद बैंक के प्रति शेयर स्टैंडअलोन बुक वैल्यू में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

By Agency Edited By: Rammohan MishraUpdated: Wed, 27 Dec 2023 05:39 PM (IST)
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IDFC First Bank और IDFC Ltd के मर्जर को RBI की मंजूरी मिल गई है।
पीटीआई, नई दिल्ली। IDFC First Bank और IDFC Ltd के बोर्ड ने जुलाई में रिवर्स मर्जर को मंजूरी दे दी है। इसको लेकर आईडीएफसी लिमिटेड ने एक नियामक फाइलिंग में कहा कि आईडीएफसी लिमिटेड और आईडीएफसी फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी (IDFC FHCL) को आरबीआई से 26 दिसंबर, 2023 को पत्र प्राप्त हुआ है। इसके तहत RBI ने मर्जर की समग्र योजना पर अपनी क्लीन चिट दे दी है।

आईडीएफसी एफएचसीएल का पहले आईडीएफसी में विलय होगा और फिर आईडीएफसी का आईडीएफसी फर्स्ट बैंक लिमिटेड में विलय होगा। इसमें कहा गया है कि यह योजना राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण और लागू कानूनों के तहत शामिल कंपनियों के संबंधित शेयरधारकों और लेनदारों सहित अन्य वैधानिक और विनियामक अनुमोदन के अधीन है।

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ऐसे होगा शेयरों का बंटवारा

प्रस्तावित रिवर्स मर्जर योजना के तहत एक आईडीएफसी शेयरधारक को बैंक में प्रत्येक 100 शेयरों के लिए 155 शेयर मिलेंगे। दोनों शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये है। विलय के बाद बैंक के प्रति शेयर स्टैंडअलोन बुक वैल्यू में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जैसा कि मार्च 2023 तक ऑडिटेड वित्तीय पर गणना की गई है, इसमें कहा गया है कि जून 2023 तक आईडीएफसी अपनी गैर-वित्तीय होल्डिंग कंपनी के माध्यम से आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में 39.93 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

क्या करती है IDFC? 

आईडीएफसी निजी क्षेत्र में एक इन्फ्रा ऋणदाता था और आईसीआईसीआई और आईडीबीआई जैसे अपने बड़े साथियों के बाद इसने 2015 में एक बैंकिंग सहायक कंपनी आईडीएफसी बैंक भी लॉन्च की, लेकिन अन्य दो की तरह अपनी पहचान नहीं बना सकी। एचडीएफसी बैंक की तरह, विलय वाले आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की भी कोई प्रवर्तक इकाई नहीं होगी, लेकिन पूरी तरह से संस्थागत और सार्वजनिक शेयरधारकों के स्वामित्व में होगी।

IDFC का अब तक का सफर 

आईडीएफसी की शुरुआत 1997 में एक बुनियादी ऋणदाता के रूप में हुई थी। इसे अप्रैल 2014 में एक बैंक स्थापित करने के लिए आरबीआई से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई और अक्टूबर 2015 में ऑन-टैप लाइसेंसिंग शुरू होने पर इसने आईडीएफसी बैंक लॉन्च किया, जिसके बाद आईडीएफसी के ऋण और देनदारियां बैंक में स्थानांतरित कर दिए गए। दिसंबर 2018 में इसने 2012 से उपभोक्ता और एमएसएमई-केंद्रित गैर-बैंक कैपिटल फर्स्ट का अधिग्रहण कर लिया और इसका नाम बदलकर आईडीएफसी फर्स्ट बैंक कर दिया गया और यह एक पूर्ण-सेवा सार्वभौमिक बैंक बन गया।

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