किसी सरकारी बैंक द्वारा जारी की जाने वाली कागजी मुद्रा (करेंसी) की बजाय डिजिटल मनी धन का ऐसा रूप होगी जिसका मूल्य रियल करेंसी जितना ही होगा। लेकिन इसे कागज सिक्कों के बजाय इलेक्ट्रानिक रूप में मोबाइल फोन कंप्यूटर-लैपटाप या अन्य किसी इलेक्ट्रानिक वालेट में रखा जाएगा।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Tue, 01 Nov 2022 12:50 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Digital Rupee: देश को आज अपनी पहली डिजिटल मुद्रा मिलने वाली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आज डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। आम बजट 2022-23 के वादे और सितंबर, 2022 में की गई घोषणा को अमल में लाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक प्रायोगिक तौर पर मंगलवार से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी या डिजिटल रुपये) की शुरुआत करेगा। प्रायोगिक तौर पर सिर्फ सरकारी प्रतिभूतियों के थोक लेन-देन में ही डिजिटल रुपये के इस्तेमाल की इजाजत दी जाएगी।
रिजर्व बैंक ने देश के नौ सरकारी और निजी बैंकों को इस प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी है। अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो दूसरे कई क्षेत्रों में प्रायोगिक तौर पर सीबीडीसी के इस्तेमाल की शुरुआत की जाएगी। कुछ महीनों के भीतर खुदरा वित्तीय लेन-देन में भी डिजिटल रुपये के प्रयोग की इजाजत दिए जाने की संभावना है।
पायलट प्रोजेक्ट की रुपरेखा
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट को कुछ खास स्थलों पर चयनित ग्राहकों और कारोबारियों के बीच एक महीने तक चलाया जाएगा। इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी बाद में दी जाएगी। इससे मिली सीख और अनुभव के आधार पर इसका विस्तार करने की संभावना जताई गई है। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि थोक में डिजिटल रुपये के प्रयोग से प्रतिभूति बाजार में अंतर-बैं¨कग लेन-देन और ज्यादा प्रभावशाली बन सकेगी। दूसरे लेन-देन में भी थोक लेन-देन की तरह डिजिटल रुपये का इस्तेमाल शुरू किया जाएगा।
वित्तीय लेन-देन की लागत पर क्या होगा असर
आरबीआई ने डिजिटल करेंसी पर वर्ष 2020 में ही एक समिति गठित की थी। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर सितंबर, 2022 में एक प्रपत्र में जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि यह पारदर्शिता लाने के साथ ही वित्तीय लेन-देन की लागत को भी कम करेगा। इसके फायदे को देखते हुए इसे दूसरे क्षेत्रों में भी इसके इस्तेमाल का रास्ता तलाशा जाएगा। आरबीआइ ने इसमें यह भी कहा था कि कई क्षेत्रों में इसके प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल कर इसकी क्षमता परखने की जरूरत है। वैसे दुनिया के दूसरे कई देशों में अभी डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है हालांकि कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने इसके इस्तेमाल की इजाजत भी दी है।
क्या नकदी की तरह हो पाएगा लोकप्रिय
आरबीआई ने यह भी कहा है कि डिजिटल करेंसी को नकदी की तरह ही लोकप्रिय बनाने के लिए कई कदम उठाने होंगे। डिजिटल करेंसी को नकदी हस्तांतरण की तरह से सुरक्षित और गोपनीय बनाने के विकल्प पर भी विचार किया गया है। हालांकि यह भी माना गया है कि एक अलग स्वरूप होने की वजह से डिजिटल रुपये को नकदी की तरह गोपनीय नहीं बनाया जा सकता। लेकिन ग्राहकों की पहचान और उसके डाटा को सुरक्षित रखने की पूरी व्यवस्था व गारंटी की जाएगी।
इन बैंकों को दी गई है इजाजत
जिन बैंकों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर डिजिटिल रुपये के उपयोग की इजाजत दी गई है, उसमें यूनियन बैंक आफ इंडिया, स्टेट बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आइडीएफसी, एचएसबीसी शामिल हैं।
आरबीआई को क्या है उम्मीद
आरबीआई के मुताबिक, होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपये के इस्तेमाल से इंटरबैंक मार्केट को और अधिक कुशल बनाने की उम्मीद है।
क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग
CBDC एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, लेकिन इसकी तुलना निजी वर्चुअल करेंसी या क्रिप्टो करेंसी से नहीं की जा सकती है। निजी आभासी मुद्राएं किसी व्यक्ति के ऋण या देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं क्योंकि कोई जारीकर्ता मौजूद नहीं है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि क्रिप्टोकरेंसी कभी भी कानूनी निविदा नहीं होगी। आरबीआई निजी क्रिप्टोकरेंसी का कड़ा विरोध कर रहा है क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव डाल सकते हैं। डिजिटल करेंसी में ऐसा नहीं है।
ये भी पढ़ें-EPFO: ईपीएफओ बोर्ड ने पेंशन योजना में किया बदलाव, जानिए किन लोगों को होगा फायदाRule Change: आज से इन नियमों में होने जा रहा बदलाव, जानें आपकी जेब पर क्या होगा असर