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RBI ने केंद्र सरकार को दिया Dividend का तोहफा, जल्द ट्रांसफर होगी 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम

RBI Dividend भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकार को लाभांश का तोहफा देने का एलान किया है। आरबीआई ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की 608वीं बैठक में यह फैसला लिया गया है। इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कर रहे थे। बोर्ड ने केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश भुगतान को मंजूरी दे दी।

By Jagran News Edited By: Priyanka Kumari Updated: Wed, 22 May 2024 04:22 PM (IST)
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RBI ने केंद्र सरकार को दिया डिविडेंड का तोहफा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जुलाई, 2024 में चालू वित्त वर्ष का आम बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री का काम राजस्व के मोर्चे पर आसान दिखाई दे रहा है। वजह यह है कि बुधवार (22 मई) को आरबीआई ने अपने अतिरिक्त फंड से एकमुश्त केंद्र सरकार को 2,10,874 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित करने का फैसला किया है। गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला किया गया जो उसकी तरफ से सरकार को बतौर लाभांश दी जाने वाली सबसे बड़ी राशि है।

पहले इस मुद्दे पर हो चुका है काफी विवाद

आरबीआई के सरप्लस फंड से केंद्र सरकार को लाभांश देने का मुद्दा पूर्व में काफी विवादास्पद रहा था। पूर्व आरबीआई गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल ने सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया था जिसकी वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में सरकार ने पूर्व आरबीआई गर्वनर डॉ. बिमल जालान की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी जिसकी सिफारिशों के आधार पर लाभांश देने का सिलसिला शुरू किया गया था।

ऐसे होती है आरबीआई की मोटी कमाई

आरबीआई सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री, बैंकों को कर्ज देने पर प्राप्त ब्याज व बॉन्‍ड आदि के कारोबार की वजह से बड़ी कमाई करता है। इसका एक हिस्सा आरबीआई आपातकालीन स्थिति के लिए बतौर कंटीजेंड रिस्क बफर (सीआरबी) के रख लेता है। डॉ. जालान समिति ने सीआरबी के लिए 5.5 से 6.5 फीसद का स्तर तय किया था। अब आरबीआई की तरफ से बताया गया है कि कोविड महामारी की वजह से जब इकोनॉमी की स्थिति ठीक नहीं थी तब सीआरबी को 5.5 फीसदी रखा गया था। अब हालात काफी बेहतर हैं तो वर्ष 2023-24 के लिए बफर स्तर को 6.5 फीसदी करने का फैसला किया गया है।

इससे अतिरिक्त राशि 2,10,874 करोड़ रुपये की राशि को केंद्र सरकार को हस्तांतरित किया गया है। वर्ष 2018-19 में 1.71 लाख करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 57,128 करोड़ रुपये की राशि इसी मद में केंद्र को दी गई थी। यह केंद्र सरकार के राजस्व संग्रह में एक अहम भूमिका निभाने लगी है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि आम चुनाव वाले वर्ष में आरबीआई ने रिकॉर्ड लाभांश देने का का काम किया है।

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घाटा को कम करने में मिलेगी मदद

उम्मीद थी कि आरबीआइ की तरफ से तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये का लाभांश केंद्र को मिलेगा लेकिन वास्तिवक राशि इससे दोगुनी है। 01 फरवरी, 2024 को पेश अंतरिम बजट में भी आरबीआई से बतौर लाभांश 1.02 लाख रुपये का समायोजन किया गया था। इस आधार पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसद पर रखने का हिसाब लगाया हुआ है। लेकिन अप्रैल, 2024 में जीएसटी संग्रह के 2.10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहने और अब आरबीआई की तरफ से भारी लाभांश मिलने से उम्मीद है कि कोविड महामारी के बाद पटरी से उतरा राजकोषीय प्रबंधन अब ज्यादा चुस्त दिखाई देगा। राजकोषीय घाटे का स्तर जीडीपी के अनुपात में घट कर पांच फीसद से भी नीचे जा सकता है।

जून में नई सरकार को होगी सहूलियत

देश की आर्थिक विकास दर को लेकर भी पहले से बेहतर अनुमान आ रहे हैं जिससे इस वर्ष कर संग्रह का पक्ष भी बेहतर रहने की उम्मीद है। ऐसे में आरबीआई का लाभांश जून में सत्ताधीश होने वाली सरकार को काफी सहूलियत देगी। उद्योगपति आनंद महिंद्रा भी आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य हैं। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि, “केंद्रीय बोर्ड की बैठक में हिस्सा लेना काफी अच्छा रहा है और रिकॉर्ड लाभांश देने में दूसरे निदेशकों के साथ हूं। यह नोट किया जाना चाहिए कि यह रिकॉर्ड लाभांश की राशि सीआरबी का अनुपात छह फीसदी से बढ़ा कर 6.5 फीसदी करने के बाद दिया गया है। मैं आरबीआई गवर्नर व उनकी टीम के अन्य सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं।''

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