Gold Reserve: सोने का भंडार क्यों बढ़ा रहे दुनियाभर के केंद्रीय बैंक, क्या कुछ गड़बड़ होने वाली है?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार 2024 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच दुनियाभर में सोने की मांग सालाना आधार पर 3 फीसदी बढ़ी है। यह गोल्ड डिमांड के लिहाज से 2016 के बाद सबसे मजबूत पहली तिमाही है। आइए जानते हैं कि भारत और चीन समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीद क्यों बढ़ा रहे हैं। क्या यह किसी बड़े आर्थिक संकट की आहट है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। एक वक्त था, जब सोने को लेकर महिलाओं का आकर्षण सबसे अधिक होता था। लेकिन, अब दुनियाभर के केंद्रीय बैंक गोल्ड को लेकर दीवानगी के मामले में महिलाओं को भी पीछे छोड़ रहे हैं। दरअसल, भू-राजनीतिक तनाव के साथ महंगाई और मंदी जैसे खतरों की वजह से सोना केंद्रीय बैंकों की आंख का तारा बन गया है।
कितना सोना खरीद रहे केंद्रीय बैंक
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च बीच दुनियाभर में सोने की मांग सालाना आधार पर 3 फीसदी बढ़ी है। यह गोल्ड डिमांड के लिहाज से 2016 के बाद सबसे मजबूत पहली तिमाही है।
मार्च में सेंट्रल बैंक ऑफ तुर्किये सोने का सबसे बड़ा खरीदार रहा। उसने अपने गोल्ड रिजर्व में 14 टन का इजाफा किया है। भारत के रिजर्व बैंक ने अपनी गोल्ड होल्डिंग को 5 टन बढ़ाया है। वहीं, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने भी अपने गोल्ड रिजर्व में 5 टन और जोड़ा है।
पीपल्स बैंक ऑफ चाइना का गोल्ड रिजर्व 2,250 टन के पार पहुंच चुका है। भारत की बात करें, तो रिजर्व बैंक का गोल्ड भंडार अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। अप्रैल की शुरुआत में RBI के पास 822.1 टन गोल्ड था।
सोने की खरीद क्यों बढ़ा रहे केंद्रीय बैंक
दरअसल, कोरोना के बाद वैश्विक परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ इजरायल का अरब देशों से तनाव ने संकट को और ज्यादा बढ़ा दिया है। इससे वैश्विक मंदी तक की आशंका जताई जाने लगी। यही वजह है कि केंद्रीय बैंक लगातार सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं, ताकि किसी भी बड़े आर्थिक संकट का मुकाबला कर सकें।