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RBI ने यूनियन बैंक और मुथूट हाउसिंग फाइनेंस पर लगाया तगड़ा जुर्माना, क्या है पूरा मामला?

आरबीआई ने नियमों की अनदेखी के लिए पांच वित्तीय संस्थानों पर जुर्माना लगाया है। इनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया मुथूट हाउसिंग फाइनेंस सीएसबी बैंक निडो होम फाइनेंस लिमिटेड और अशोका विनियोग लिमिटेड शामिल हैं। जुर्माने की रकम 1.86 करोड़ रुपये से लेकर 3.1 लाख रुपये तक है। आइए जानते हैं कि आरबीआई ने यह जुर्माना क्यों लगाया और इसका क्या असर होगा।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 12 Aug 2024 08:36 PM (IST)
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इन पाचों वित्तीय संस्थानों ने नियमों की अनदेखी की है।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को विभिन्न नियामक मानदंडों के उल्लंघन के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, मुथूट हाउसिंग फाइनेंस और सीएसबी बैंक सहित पांच संस्थाओं पर जुर्माना लगाया।

आरबीआई ने सीएसबी बैंक पर 'रिस्क मैनेजिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज की आउटसोर्सिंग' में गाइडलाइंस का उल्लंघन किया। साथ ही बैंक, 'शाखा प्राधिकरण पर मास्टर सर्कुलर' पर जारी कुछ निर्देशों का भी पालन नहीं किया। इसके लिए बैंक पर 1.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर क्यों लगा जुर्माना

एक अन्य बयान में आरबीआई ने कहा कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी 'अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी)' पर कुछ मानदंडों का पालन नहीं किया। साथ ही, जोखिमों के लिए आवश्यक सेंट्रल रिपॉजिटरी बनाने के नियमों की अनदेखी की। इसके लिए बैंक पर 1.06 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की एक इकाई है, जिसकी 60 फीसदी हिस्सेदारी सरकार के पास है।

मुथूट हाउसिंग फाइनेंस पर जुर्माने की वजह क्या है

केंद्रीय बैंक ने एक अन्य विज्ञप्ति में कहा कि 'नॉन-बैंकिंग फाइनेंसिंग कंपनी - हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (रिजर्व बैंक) डायरेक्शंस, 2021' के कुछ प्रावधानों का पालन न करने पर मुथूट हाउसिंग फाइनेंस कंपनी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आरबीआई ने मानदंडों का पालन न करने पर निडो होम फाइनेंस लिमिटेड पर 5 लाख रुपये और अशोका विनियोग लिमिटेड पर 3.1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

क्या जुर्माने का ग्राहकों पर कोई असर होगा? 

आरबीआई ने कहा कि प्रत्येक मामले में जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य संस्थाओं में किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर फैसला सुनाना नहीं है। इसका मतलब कि ग्राहकों के किसी भी लेनदेन पर आरबीआई के जुर्माने का असर नहीं होगा।

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