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एक महीने बाद होगी मौद्रिक नीति समिति की बैठक, SBI चेयरमैन का अनुमान- Repo Rate में इजाफा नहीं करेगा RBI

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने आज कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति के तहत एक बार फिर रेपो रेट को स्थिर रख सकता है। 8 जून को आरबीआई गवर्नर शककांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के फैसले पर चर्चा करते हुए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर ही रखने का एलान किया था। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 19 Jul 2023 01:40 PM (IST)
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RBI likely to maintain status quo in upcoming monetary policy: SBI Chairman
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अध्यक्ष दिनेश खारा (Dinesh Khara) ने आज कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति में एक बार फिर से रेपो रेट को स्थिर रख सकता है।

दिनेश खारा ने कहा कि

एक बैंक के रूप में हम दर में कटौती की उम्मीद नहीं करते हैं, आरबीआई द्वारा यथास्थिति बनाए रखने की संभावना है।

कब होनी है मीटिंग?

आपको बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति हर दो महीने में मीटिंग करती है। पिछली मीटिंग 6-8 जून को हुई थी और अब केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 8-10 अगस्त, 2023 को होगी।

आरबीआई ने नहीं बढ़ाया था रेपो रेट

8 जून को मौद्रिक नीति समिति के द्वारा लिए गए फैसलों को सुनाते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था।

इसके अलावा शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 24 के लिए देश का ग्रोथ प्रोजेक्शन 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि वित्त वर्ष 24 के पहली तिमाही में ग्रोथ प्रोजेक्शन में 8 प्रतिशत की वृद्धि, दूसरी तिमाही में ग्रोथ प्रोजेक्शन 6.5 प्रतिशत, तीसरी तीमाही में 6 प्रतिशत और चौथी तीमाही में ग्रोथ प्रोजेक्शन 5.7 प्रतिशत की रहने की संभावना जताई थी।

एशियन डेवलपमेंट बैंक को 6.4 प्रतिशत के विकास दर की उम्मीद

एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank (ADB)) ने आज ही भारत की विकास दर के अनुमान लगाते हुए अपने रिपोर्ट में कहा कि भारत की विकास दर वित्त वर्ष के लिए 6.4 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष यानी FY25 के लिए 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी। एडीबी ने बताया कि मजबूत मांग के चलते अर्थव्यवस्था में तेजी बनी रहेगी।

क्या होता है रेपो रेट?

रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक) किसी भी पैसों की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है।

सरल भाषा में कहें तो वह ब्याज दर जिस पर आरबीआई देश के बैंकों को पैसा देता है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक अधिकारियों द्वारा रेपो दर का उपयोग किया जाता है।