इस बार भी नहीं बदलेगा Repo Rate, FY25 की तीसरी तिमाही में RBI कर सकता है रेपो रेट में कटौती: SBI
3 अप्रैल 2024 से वित्त वर्ष 25 की पहली भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Committee) शुरू होगी। इस बैठक में आरबीआई रेपो रेट से संबंधित कई फैसले ले सकता है। आरबीआई एमपीसी बैठक को लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा।
आईएएनएस, नई दिल्ली। हर दो महीने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Committee) बैठक होती है। 3 अप्रैल 2024 से वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही की मैद्रिक समीक्षा बैठक शुरू होगी। बता दें कि हर साल 1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू होता है जो 31 मार्च को खत्म होता है।
कल से शुरू होने वाली आरबीआई एमपीसी बैठक (MPC) को लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने एक रिसर्च रिपोर्ट जारी किया है।
इस रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस बार भी आरबीआई रेपो रेट में कोई कटौती नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि इस बार भी रेपो रेट को लेकर आरबीआई अपना रूख नहीं बदलेगा।
आरबीआई एमपीसी बैठक 2024
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली एमपीसी बैठक 3 अप्रैल 2024 से शुरू होगी। इस बैठक में लिये गए फैसलों का एलान 5 अप्रैल 2024 को सुबह आरबीआई गवर्नर द्वारा किया जाएगा। वर्तमान में रेपो रेट 6.5 फीसदी है।सौम्य कांति घोष ने कहा कि ईंधन की मध्यम कीमतों के साथ खाद्य कीमतों के उतार-चढ़ाव की वजह से महंगाई पर असर पड़ रहा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के अनुसार देश में महंगाई दर काफी अच्छा रहा है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि लगभग 2 प्रतिशत मुद्रास्फीति देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी है।खाद्य पदार्थों की बदलती कीमतें घरेलू मुद्रास्फीति को निर्धारित करेंगी। वित्त वर्ष 2024 के शेष महीनों में सीपीआई मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर रहने की उम्मीद है।
घोष ने अपने रिपोर्ट में कहा कि कोर सीपीआई ( Core CPI) गिरकर 3.37 फीसदी पर आ गया, जो 52 महीने का निचला स्तर है। इस साल जुलाई तक महंगाई में गिरावट आने की उम्मीद है।हालांकि इसके बाद सितंबर में यह बढ़कर 5.4 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच जाएगी, जिसके बाद इसमें गिरावट आएगी। पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए, सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 4.5 प्रतिशत (वित्त वर्ष 24 - 5.4 प्रतिशत) होने की संभावना है।