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RBI की मौद्रिक नीति की बैठक इस हफ्ते से शुरू होगी, रेपो रेट को स्थिर रखने की उम्मीद

RBI MPC Meet 2023 इस हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक होने वाली है। यह बैठक 8 अगस्त से 10 अगस्त तक चलेगी। इस मीटिंग की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करेंगे। यह छह सदस्यीयता की मीटिंग होगी। इस बार भी उम्मीद लगाई जा रही है कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Sun, 06 Aug 2023 02:50 PM (IST)
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RBI की मौद्रिक नीति की बैठक इस हफ्ते से शुरू होगी

नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क। RBI MPC MEET 2023: 8 अगस्त से भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक शुरू हो जाएगी। ये बैठक 10 अगस्त तक चलेगी। इस बैठक का फैसला आरबीआई के अध्यक्ष 10 अगस्त को सुनाएंगे। कई विशेषज्ञों ने कहा कि रिजर्व बैंक अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला लेगी। देश में महंगाई और आर्थिक विकास की गति को बनाए रखने के लिए उधार लेने की लागत को स्थिर रखने की चिंता बनी हुई है।

आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8-10 अगस्त को होने वाली है। इस बाठक में नीतिगत निर्णय की घोषणा 10 अगस्त को गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा की जाएगी। एमपीसी की आखिरी बैठक 6-8 जून के दौरान हुई थी।

ब्याज दरों को स्थिर रखने की उम्मीद

देश में पिछले साल मई में उधार लेने की लागत को बढ़ाया गया था। वहीं, आरबीआई ने फरवरी के बाद से रेपो रेट को 6.5 फीसदी को बढ़ा कर 6.25 फीसदी किया गया था। पिछले बैठक में भी रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया था।

पंजाब एंड सिंध बैंक के प्रबंध निदेशक स्वरूप कुमार साहा ने कहा

आरबीआई के फैसले वैश्विक विकास सहित कई चीजों को प्रभावित करता है। इसलिए, यह हाल ही में यूएस फेड जैसे कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को भी ध्यान में रखेगा। अगर ब्याज दर में बढ़ोतरी होती है तो इसका कारण घरेलू बाजारों में पैदावार कम हो गई है। ऐसे में अनुमान है कि आरबीआई रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखेगा। अगर वैश्विक स्थिति स्थिर रहती है तो ब्याज दर अगले 2-3 तिमाहियों तक स्थिर रहने की संभावना है।

एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक त्रिभुवन अधिकारी ने कहा

केंद्रीय बैंक द्वारा आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों के साथ छेड़छाड़ करने और यथास्थिति बनाए रखने की संभावना नहीं है। भविष्य में ब्याज दर स्थिर रहने की संभावना है।

सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दोनों तरफ 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे। केंद्रीय बैंक अपने द्विमासिक मौद्रिक नीति निर्णय पर पहुंचने के लिए सीपीआई को ध्यान में रखता है।

यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने कहा

टमाटर की वजह से सब्जियों की कीमतों में घरेलू उछाल को ध्यान में रखते हुए, एमपीसी द्वारा दर और रुख दोनों में कोई बदलाव करने पर विचार नहीं किया जाएगा। यह फैसला उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से मैक्रो डेटा प्रवाह में निरंतर मजबूती पर भी आधारित होगा। इससे विशेष रूप से अमेरिका में दर वृद्धि चक्र पर अनिश्चितताएं पैदा होने की संभावना है।

खुदरा मुद्रास्फीति दर

देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें सख्त होना है। हालाँकि, मुद्रास्फीति आरबीआई के 6 प्रतिशत से नीचे के आरामदायक स्तर के भीतर बनी हुई है। 14 अगस्त को जुलाई के महंगाई आंकड़े जारी होंगे।

क्वांटम एएमसी के फंड मैनेजर-फिक्स्ड इनकम, पंकज पाठक ने कहा

पिछली आरबीआई नीति के बाद से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ गया है। सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल ने अगले 2-3 महीनों के लिए अपेक्षित मुद्रास्फीति को 6 प्रतिशत से ऊपर पहुंचा दिया है। अनाज और दाल की कीमतें भी बढ़ी हैं। ऐसे में उम्मीद करते हैं कि आरबीआई समायोजन को वापस लेते हुए अपनी नीतिगत रुख को बरकरार रखेगा। वे वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने सीपीआई मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 20-30 आधार अंक तक बढ़ाकर लगभग 5.3 प्रतिशत-5.4 प्रतिशत कर सकते हैं।

एमपीसी की बैठक के सदस्य

एमपीसी में तीन बाहरी सदस्य और आरबीआई के तीन अधिकारी शामिल हैं। पैनल के बाहरी सदस्य शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं। गवर्नर दास के अलावा, एमपीसी में अन्य आरबीआई अधिकारी राजीव रंजन (कार्यकारी निदेशक) और माइकल देबब्रत पात्रा (डिप्टी गवर्नर) हैं।