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RBI Monetary Policy: क्या सस्ता होगा कर्ज? आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास आज करेंगे मॉनेटरी पॉलिसी का एलान

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास आज सुबह 10 बजे 6 से 8 दिसंबर तक चली आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के फैसलों की घोषणा करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रख सकता है। अगर ऐसा होता है यह लगातार पांचवीं बार होगा जब ब्याज दर अपरिवर्तित रहेगा। पढ़िए पूरी खबर।

By Gaurav KumarEdited By: Gaurav KumarUpdated: Fri, 08 Dec 2023 08:30 AM (IST)
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास सुबह 10 बजे MPC की बैठक में लिए फैसले की घोषणा करेंगे।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय बैंक (आरबीआई) की 6 से 8 दिसंबर तक चली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिए फैसले की घोषणा आज आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास सुबह 10 बजे करेंगे।

यह मीटिंग बुधवार 6 दिसंबर को गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में शुरू हुई थी। विशेषज्ञों की मानें तो आरबीआई इस बार भी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रख सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह लगातार पांचवीं बार होगा जब ब्याज दर अपरिवर्तित रहेगा।

क्यों रेपो रेट रह सकता है स्थिर?

एक्सपर्ट का मानना है कि आरबीआई इसलिए रेपो रेट को स्थिर रख सकता है क्योंकि देश में महंगाई दर धीरे-धीरे आरबीआई के अनुमान के नजदीक आ रही है और आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी हो रही है।

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फरवरी के बाद से स्थिर है ब्याज दर

फरवरी 2023 के बाद से आरबीआई एमपीसी ने चार बार मीटिंग की है ने हर बार ब्याज दर को स्थिर रखने का फैसला लिया गया था। आखिरी बार रेपो रेट को फरवरी 2023 में 25 बेसिस प्वाइंट के लिए बढ़ाया गया था। मई 2022 से फरवरी 2023 से रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट या 2.5 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है।

चार महीने के नीचले स्तर पर महंगाई

हाल ही में आए आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक खाने-पीने की कीमतों में कमी के कारण अक्टूबर में रिटेल इनफ्लेशन (खुदरा महंगाई) घटकर चार महीने के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गई थी जो आरबीआई के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

क्या है आरबीआई एमपीसी?

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग हर दो महीने में एक बार होती है। यह मीटिंग तीन दिनों तक चलती है जिसमें देश में महंगाई से जुड़े नीतिगत फैसले लिए जाते हैं। इन फैसलों में सबसे अहम रेपो रेट होता है।

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ऐसे इसलिए क्योंकि अगर देश में महंगाई ज्यादा होती है तो आरबीआई ब्याज दर यानी रेपो रेट बढ़ा कर अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो को कम कर देता है जिससे मांग में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इससे ठीक विपरीत जब अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो को बढ़ाना होता है तो आरबीआई रेपो रेट को सस्ता कर देता है। इनमें रेपो रेट सबसे अहम फैसला होता है। रेपो रेट वह ब्याज दर होता है जिस दर पर आरबीआई देश के बैंकों को कर्ज देती है।