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RBI Monetary Policy: 9 महीने में 2.5 फीसद बढ़ी रेपो रेट, क्या है इसका आपकी EMI से कनेक्शन

RBI Monetary Policy आज से आरबीआई की समीक्षा बैठक शुरू हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार रेपो रोट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। आइए जानते हैं कि रेपो रेट का आपकी ईएमआई से क्या कनेक्शन है।

By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Tue, 06 Jun 2023 06:10 PM (IST)
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RBI Monetary Policy: Repo Rate remain unchanged
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग (MPC) आज मंगलवार (6 जून) से शुरू हो गई है। ये बैठक 6 जून से 8 जून तक चलेगी। 8 जून को इस बैठक के फैसलों का ऐलान किया जाएगा। आपको बता दें, मई 2022 से फरवरी 2023 तक यानी 9 महीने में आरबीआई ने रेपो दरों में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है।

एमपीएस की बैठक हर दो महीने के बाद होती है, पिछली मीटिंग अप्रैल में हुई थी। इस बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था । इसका मतलब ये हुआ कि रेपो दर को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा गया था।

भारत की सबसे बड़ी सरकार बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का मानना ​​है कि इस बैठक में भी रेपो रेट को स्थिर ही रखा जाएगा। वित्त वर्ष 2024 के लिए महंगाई के अनुमान को भी घटाया जा सकता है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछली बैठक में कहा था कि इकोनॉमी में जारी रिकवरी को बरकरार रखने के लिए पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन स्थिति के हिसाब से इस पर कदम उठाया जाएगा।

लोन महंगे नहीं होंगे, EMI भी नहीं बढ़ेगी?

आरबीआई के पास महंगाई से लड़ने के लिए रेपो रेट के रूप में एक शक्तिशाली टूल है। जब देश में महंगाई बहुत ज्यादा होती है तब आरबीआई रेपो रेट को बढ़ा देता है। ये इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की एक कोशिश होती है।

अगर रेपो रेट ज्यादा होता है तब आरबीआई से मिलने वाले कर्ज महंगा होता है। इस वजह से बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन को महंगा कर देता हैं। इससे देश की इकोनॉमी में मनी फ्लो कम हो जाता है। मनी फ्लो के कम होते ही डिमांड में भी कमी आ जाती है। ऐसे में महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजर रही होती है तो मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत होती है। इसके लिए आरबीआई रेपो रेट को कम कर देता है। इससे आरबीआई बैंकों को सस्ते में कर्ज देता है। इससे ग्राहकों को सस्ती दर पर लोन मिलता है।

महंगाई से मिलेगी राहत?

आरबीआई वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने महंगाई अनुमान को घटा सकता है। आरबीआई के गवर्नर ने इसकी जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी थी। कई अर्थशास्त्रियों के अनुसार देश की इकोनॉमी में सुधार के संकेत दिख रहे हैं।

वहीं, केंद्रीय बैंक महंगाई को काबू में रखना चाहता है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है आरबीआई इन स्तरों की दरों पर रोक लगा सकता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आरबीआई साल 2025 से दरों को कम करना शुरू कर देगी। दरअसल आरबीआई का लक्ष्य ग्रोथ रेट और महंगाई के बीच बैलेंस बनाना है।

महंगाई पर असर कैसे दिखता है?

महंगाई का सीधा असर पर्चेजिंग पावर पर पड़ता है। इसे ऐसे समझिए कि अगर महंगाई दर 7 फीसदी है, तब 100 रुपये का मूल्य सिर्फ 93 रुपये होगा। इसलिए आपको हमेशा महंगाई दर को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।