RBI MPC Meet: नहीं बदली EMI, बैंकिंग फ्रॉड को कम करने के लिए उठाया कदम, यहां जाने एमपीसी बैठक की मुख्य बातें
RBI MPC Meet Update भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का एलान किया है। आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष की यह दूसरी बैठक है। इससे पहले अप्रैल में एमपीसी बैठक हुई थी। अब अगली बैठक अगस्त में होगी। आइए जानते हैं कि एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली।RBI MPC Meet Highlights: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का एलान किया है। आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष की यह दूसरी बैठक है। इससे पहले अप्रैल में एमपीसी बैठक हुई थी। अब अगली बैठक अगस्त में होगी। एमपीसी बैठक में रेपो रेट समेत कई बड़े फैसले लिए जाते हैं।
आइए, जानते हैं कि एमपीसी बैठक में अहम बातें।
एमपीसी बैठक की मुख्य बातें
- रेपो रेट: लगातार 8वीं बार आरबीआई की एमपीसी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर बना हुआ है। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि इस बार भी 4:2 के वोटिंग रेश्यो से रेपो रेट को स्थिर रखा गया है।
- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि केंद्र बैंक ने 'WITHDRAWAL OF ACCOMMODATION' का रुख अपनाया है।
- जीडीपी ग्रोथ: रिजर्व बैंक ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाया है। शक्तिकांत दास ने वित्तीय वर्ष 2014-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ को 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 फीसदी का का अनुमान है।
- महंगाई दर: आरबीआई ने महंगाई दर के अनुमान को 4.5 फीसदी पर स्थिर रखा। शक्तिकांत दास ने कहा कि गर्मी में सब्जियों के भाव में तेजी आ रही है। ऐसे में खाद्य महंगाई चढ़ रहा है। हालांकि, मार्च में फ्यूल की कीमतों में कटौती होने से कोर महंगाई सीमित हो गई है।
- डिजिटल फ्रॉड: देश में डिजिटल फ्रॉड पर लगाम कसने के लिए आरबीआई डिजिटल पेमेंट प्लेटफार्म लाने की तैयारी कर रहा है। वहीं आरबीआई इंपोर्ट एक्सपोर्ट नियमों के लिए गाइडलाइन भी लाएगा। इस गाइडलाइन जारी होने के बाद इंपोर्ट एक्सपोर्ट नियम आसान हो जाएंगे।
- बेहतर इकोनॉमी की उम्मीद: इस बार बेहतर मानसून का अनुमान जताया गया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ऐसे में बेहतर मानसून की वजह से खरीफ फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है। अगर खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर होता है तो यह घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव संकेत है। वहीं, सर्विस सेक्टर में तेजी से भी इकोनॉमी को सपोर्ट मिलेगा।