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RBI MPC Meeting: शुरू हो गई एमपीसी की बैठक, 8 अगस्त को होगा फैसलों का एलान

RBI Monetary Policy Latest Update भारतीय रिजर्व की एमपीसी बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) समेत कई बड़े फैसले लिए जाएंगे। बैठक में लिए गए फैसलों का असर लोन की ईएमआई पर पड़ेगा। इसके अलावा शेयर बाजार की चाल पर भी इसका असर पड़ सकता है। 8 अगस्त 2024 (गुरुवार) को एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का एलान होगा।

By Priyanka Kumari Edited By: Priyanka Kumari Updated: Tue, 06 Aug 2024 04:35 PM (IST)
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RBI MPC Meet हो गई शुरू, दो दिन बाद आएगा फैसला
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। RBI Monetary Policy Latest Update: हर दो महीने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC Meet) की तीन दिवसीय बैठक होती है। आखिरी बैठक जून 2024 में हुई थी।

आज से वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) की तीसरी एमपीसी बैठक (MPC Meet) शुरू हो गई है। इस बैठक में लिए गए फैसलों का एलान 8 अगस्त 2024 (गुरुवार) को आरबीआई गवर्नर द्वारा किया जाएगा। इस बैठक में रेपो रेट समेत कई अहम फैसले लिए जाते हैं। रेपो रेट से संबंधित फैसलों का असर लोन की ईएमआई (Loan EMI) पर पड़ता है।

आपको बता दें कि फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।

हर दो महीने में होती है एमपीसी बैठक

महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रेपो रेट (Repo Rate) की अहम भूमिका होती है। जब भी बाजार में कुछ चीजों की मांग बढ़ जाती है तो सप्लाई डिमांड को बैलेंस को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई समय-समय पर बैठक करता है। इस बैठक को ही एमपीसी कहते हैं। एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कटौती या बढ़ावा को लेकर फैसले लिए जाते हैं।

एमपीसी बैठक तीन दिन तक चलती है। इस बैठक में लिए गए फैसलों का एलान तीसरे दिन आरबीआई गवर्नर द्वारा किया जाता है। वैसे तो हर दो महीने में एमपीसी की बैठक होती है, लेकिन नियमों के अनुसार एक कारोबारी साल में 4 बैठक होना जरूरी है। एमपीसी बैठक कब होगी इसका फैसला समिति द्वारा लिया जाता है।

अगर कभी एक कारोबारी साल में 4 एमपीसी बैठक करने का फैसला लिया जाता है तो आरबीआई को लेकर नोटिफिकेशन जारी करना होता है। इस नोटिफिकेशन में एमपीसी बैठक की तारीखों की भी जानकारी देनी होती है।

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क्यों बदलता है रेपो रेट

जब भी देश में मंहगाई बढ़ जाती है तो उसे कंट्रोल करने के लिए रेपो रेट में बदलाव किया जाता है। रेपो रेट एक तरह का ब्याज है जो केंद्र बैंक बाकी बैंकों के कर्ज पर लगाती है।

केंद्र बैंक को बढ़त महंगाई को कंट्रोल और मनी फ्लो को कम करने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी करती है। वहीं, जब देश की इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तब मनी फ्लो बढ़ाने के लिए रेपो रेट में कटौती करती है।

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