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टाटा कैपिटल समेत 15 NBFC ने अपना लाइसेंस RBI को लौटाया, जानिए क्या है वजह

रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को बताया कि 15 नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) ने अपने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को सरेंडर कर दिया है यानी वापस लौटा दिया है। इनमें टाटा ग्रुप की टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज और रिवॉल्विंग इन्वेस्टमेंट्स भी शामिल हैं। इन सभी के सर्टिफिकेट लौटाने की अलग-अलग वजहें हैं। आइए जानते हैं कि इन NBFC ने अपना लाइसेंस क्यों सरेंडर किया।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 10 May 2024 07:25 PM (IST)
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5 नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) ने अपने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट सरेंडर कर दिया है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को बताया कि 15 नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) ने अपने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट सरेंडर कर दिया है यानी वापस लौटा दिया है। इनमें टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज और रिवॉल्विंग इन्वेस्टमेंट्स भी शामिल हैं। इन सभी के सर्टिफिकेट लौटाने की अलग-अलग वजहें हैं।

क्या है सर्टिफिकेट सरेंडर की वजह

9 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) विलय या विघटन जैसी वजहों के चलते कानूनी संस्थाएं नहीं रह गईं। इनमें से कुछ ने गठन के बाद एक साल या इससे अधिक वक्त बिजनेस शुरू नहीं किया यानी ये NBFC निष्क्रिय कंपनियों की श्रेणी में आ गईं।

इनमें टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, टाटा क्लीनटेक कैपिटल, नेपेरोल इन्वेस्टमेंट्स, यूएसजी फाइनेंशियल सर्विसेज, ऊर्जा कैपिटल, वंदना डीलर्स, एबीआरएन फाइनेंस, जोधानी मैनेजमेंट और जेडीएस सिक्योरिटीज शामिल हैं।

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6 कंपनियों ने बिजनेस छोड़ा

रिजर्व बैंक ने बताया कि छह कंपनियों ने अपनी मर्जी से बिजनेस बंद करना फैसला किया है। ये नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन (NBFI) बिजनेस से बाहर हो गईं और अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट सरेंडर कर दिया।

इनमें वियान ग्रोथ कैपिटल, ड्रेप लीजिंग एंड फाइनेंस, ज्वेल स्ट्रिप्स, रिवॉल्विंग इन्वेस्टमेंट्स, अंशू लीजिंग और ए वी बी फाइनेंस शामिल हैं। इन सभी कंपनियों को सर्टिफिकेट रिजर्व बैंक ने दिए थे।

आरबीआई के प्रस्तावित नियम 

पिछले दिनों बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय संस्थानों के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की थी। इसमें प्रस्ताव है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लोन देने वाले वित्तीय संस्थानों को लोन का 5 प्रतिशत प्रोविजिनिंग के तौर पर रखना होगा। हालांकि, प्रोजेक्ट के शुरू बाद होने के बाद इसे कम करके 1 प्रतिशत तक लाया जा सकेगा।

इससे बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग, सभी कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। 

(पीटीआई से इनपुट के साथ)

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