Move to Jagran APP

रघुराम का झटका, लोन चुकाने के लिए देनी होगी ज्यादा ईएमआई!

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अमेरिकी फेड रिजर्व के बाद बाजार को चौंकाने की बारी भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] के गवर्नर रघुराम राजन की थी। शुक्रवार को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा करते हुए राजन ने रेपो रेट 0.25 फीसद बढ़ाने का एलान किया। इस फैसले से बैंकों के लिए फंड की लागत बढ़ेगी। नतीजतन, कर्ज महंगे हो सकते हैं। कई बैंकों ने जल्द ही होम और ऑटो लोन की दरें बढ़ाने के संकेत भी दिए हैं।

By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अमेरिकी फेड रिजर्व के बाद बाजार को चौंकाने की बारी भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] के गवर्नर रघुराम राजन की थी। शुक्रवार को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा करते हुए राजन ने रेपो रेट 0.25 फीसद बढ़ाने का एलान किया। इस फैसले से बैंकों के लिए फंड की लागत बढ़ेगी। नतीजतन, कर्ज महंगे हो सकते हैं। कई बैंकों ने जल्द ही होम और ऑटो लोन की दरें बढ़ाने के संकेत भी दिए हैं।

पढ़ें : प्याज, सब्जियों की कीमतों से भड़की महंगाई

पढ़ें : एसबीआई ने महंगा किया कर्ज

पढ़ें : भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की तरह भावुक हो जाते हैं आर्थिक विशेषज्ञ

गवर्नर पद संभालने के बाद रघुराम की यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा थी। उनके शुरुआती फैसलों को देखते हुए वित्तीय बाजार, अर्थशास्त्री, उद्योग जगत से लेकर सरकार तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन राजन ने साफ कर दिया है कि गवर्नर के तौर पर उनकी प्राथमिकता बदल गई है।

पढ़ें : रघुराम की घोषणा से बाजार में आया भूचाल

महंगाई बनी पहली प्राथमिकता

गवर्नर ने बाद में संवाददाता सम्मेलन में स्वीकार भी किया कि उनकी पहली प्राथमिकता फिलहाल महंगाई पर काबू पाने की है, जिसके तेजी से बढ़ने के आसार हैं। सरकार के ताजा आंकड़े बताते हैं कि खाद्य उत्पादों की कीमतों में इजाफे की वजह से थोक मूल्यों वाली महंगाई दर छह फीसद से ज्यादा हो चुकी है। कमजोर रुपया व कच्चा तेल इसे आने वाले दिनों में और भड़का सकते हैं।

रेपो रेट बढ़ने से कर्ज महंगा क्यूं?

जिस दर पर आरबीआइ बैंकों को कम अवधि (कुछ घंटों से लेकर 15 दिन तक) के कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। यह दर 0.25 फीसद की वृद्धि के साथ 7.25 से बढ़कर 7.5 फीसद पर पहुंच गई है। यह दर सीधे तौर पर होम, ऑटो, पर्सनल लोन व कॉरपोरेट कर्ज को प्रभावित करती है।

सीआरआर में सहूलियत

बैंकों अपनी जमाओं के एक निश्चित अनुपात में अपने पास नकदी रखनी पड़ती है। इसे ही नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है। इसे बरकरार रखने में आरबीआइ ने बैंकों को कुछ सहूलियत दी है। जरूरी सीआरआर का 99 फीसद तक रोजाना बरकरार रखने की शर्त को घटाकर 95 फीसद कर दिया गया है। इससे बैंकों के पास कर्ज वितरित करने के लिए ज्यादा पैसा बचेगा।

एमएसएफ की सुविधा

मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी यानी एमएसएफ के तहत बैंक सरकारी प्रतिभूतियों के बदले आरबीआइ से बहुत ही कम अवधि के लिए कर्ज लेते हैं। एमएसएफ की ब्याज दर को 10.25 से घटाकर 9.5 फीसद कर दिया गया है। इससे भी बैंकों के पास कर्ज वितरित करने के लिए ज्यादा पैसा बचेगा।

महंगाई से मोर्चा

फैसला 1 : रेपो रेट को 7.25 से बढ़ाकर 7.50 फीसद किया

असर : होम और ऑटो लोन की किस्त बढ़ेगी

फैसला 2 : एमएसएफ से कर्ज लेने की दर घटा कर 9.5 फीसद किया

असर : दूर होगा तरलता संकट, बैंक देंगे ज्यादा कर्ज

फैसला 3 : सीआरआर के तहत रोजाना निश्चित राशि रखने की अनुपात 95 फीसद किया

असर : बैंकों के पास लोन देने के लिए बचेगी अधिक राशि