Loan लेना है तो हो जाएं सावधान! RBI अगले महीने कर सकता है कुछ ऐसा, जिससे महंगे हो सकते हैं लोन
RBI Rate Hikes And Inflation Forecast भारतीय रिजर्व बैंक अपनी आगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ा सकता है और साथ ही दरों में बढ़ोतरी भी कर सकता है क्योंकि उसे मुद्रास्फीति को काबू में रखना है।
By Lakshya KumarEdited By: Updated: Thu, 12 May 2022 08:34 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ/बिजनेस डेस्क। समाचार एजेंसी पीटीआइ से सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक अगले महीने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ा सकता है और मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए दरों में बढ़ोतरी पर भी विचार करेगा। ऐसे में अगर विचार करने के बाद केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करता है, तो इसका मतलब होगा कि बैंक भी लोन को महंगा कर सकते हैं, जिसका सीधा असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ेगा। उन्हें लोन के लिए ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा। ईएमआई महंगी हो जाएंगी। हालांकि, यह फैसला बैंक करते हैं कि वह लोन महंगा करेंगे या नहीं। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता में एमपीसी की बैठक 6 जून से 8 जून के बीच होनी है। केंद्रीय बैंक की कोशिश है कि खुदरा मुद्रास्फीति को 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में रखा जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि एमपीसी अगली बैठक में मुद्रास्फीति की स्थिति की समीक्षा करेगी। एमपीसी ने इस महीने की शुरुआत में एक ऑफ-साइकिल बैठक में मुद्रास्फीति अनुमानों को नहीं बदला था। हालांकि, पिछले महीने आरबीआई ने भू-राजनीतिक तनाव के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत के पहले के पूर्वानुमान से 5.7 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था। RBI ने कहा था कि 2022-23 में मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत होने का अनुमान है। केंद्रीय बैंक ने कहा था, "Q1 में 6.3 प्रतिशत; Q2 में 5.8 प्रतिशत; Q3 में 5.4 प्रतिशत और Q4 में 5.1 प्रतिशत मुद्रास्फीति रह सकती है।" आरबीआई ने मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाने के पीछे भू-राजनीतिक और क्रूड ऑयल की कीमतों को कारण बताया था।
आगामी एमपीसी बैठक में दरों में वृद्धि के संबंध में सूत्रों ने कहा कि यह अपेक्षित है लेकिन यह विभिन्न इनपुट पर निर्भर करेगी। गौरतलब है कि 2 से 4 मई के दौरान अपनी ऑफ-साइकिल एमपीसी बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने प्रमुख रेपो दर (जिस पर वह बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है) में वृद्धि की घोषणा की थी। रेपा रेट को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया था। यह अगस्त 2018 के बाद पहली दर वृद्धि थी। इतना ही नहीं, यह बीते 11 वर्षों में सबसे ज्यादा वृद्धि भी थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र सरकार ने आरबीआई से यील्ड कम करने के लिए कहा है, सूत्रों ने कहा कि सरकार हमेशा कम यील्ड मांगेगी लेकिन केंद्रीय बैंक को कर्ज के प्रबंधक के रूप में कई अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना होता है।