RBI Repo Rate Hike आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि रेपो नीति दर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी हमारी उम्मीदों के अनुरूप है। वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए हम भारतीय रुपये पर दबाव से सावधान रहते हैं और इसलिए दरों में वृद्धि की जरूरत है।
By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Fri, 30 Sep 2022 11:50 AM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। RBI Repo Rate Hike: आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा शुक्रवार को कर दी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो दर को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.90% कर दिया है। रेपो रेट में होने वाली यह चौथी सीधी वृद्धि है। खुदरा महंगाई के लगातार ऊंचे स्तर पर बने रहने के कारण यह फैसला किया गया है।
आरबीआइ ने मार्च, 2020 में रेपो दर में कटौती की थी, जिसका उद्देश्य कोविड के कारण लगाए गए लॉकडाउन के प्रभाव को कम करना था। उसके बाद 4 मई, 2022 को रेपो में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हुआ था। तबसे चार बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा चुकी है।
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कई अहम एलान किए हैं। उन्होंने भारतीय आर्थिक परिदृश्य के साथ-साथ वैश्विक स्थितियों की भी रूपरेखा खींची। हाल के दिनों में रुपये में होने वाली गिरावट के लिए भी उन्होंने कई घोषणाएं की हैं। इसके अलावा उनके संबोधन में जीडीपी ग्रोथ और बैंकों के लोन को लेकर भी कई बातें कहीं गई हैं। आइए, जानते हैं कि आरबीआइ गवर्नर ने अपनी संबोधन में क्या-क्या कहा।
आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है
शक्तिकांत दास ने कहा कि दूसरी तिमाही के डाटा से संकेत मिलता है कि आर्थिक गतिविधि लचीला बनी हुई है, निजी खपत में वृद्धि हुई है। ग्रामीण मांग भी धीरे-धीरे बढ़ रही है, निवेश की मांग बढ़ रही है। कृषि क्षेत्र लचीला बना हुआ है।
दुनिया की दूसरी करेंसी के मुकाबले स्थिर है रुपया
आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल व्यवस्थित है। इस साल 28 सितंबर तक इसमें केवल 7.4 फीसद मूल्यह्रास हुआ है और इसने कई अन्य मुद्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। आरबीआइ के पास रुपये के लिए एक निश्चित विनिमय दर नहीं है। अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए आरबीआइ बाजार में हस्तक्षेप करता रहता है। आरबीआइ का विदेशी मुद्रा भंडार एक अम्ब्रेला बना हुआ है।
कैसी है वैश्विक अर्थव्यवस्था
आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि हम वैश्विक स्तर पर आक्रामक मौद्रिक तंगी के तूफान का सामना कर रहे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। दरों में बाजारों में अस्थिरता और जोखिम से बचाव हो रहा है।
मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान में कोई बदलाव नहीं
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2013 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति पूर्वानुमान 6.7% पर बनाए रखा है
जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
गवर्नर शक्ति दास ने कहा कि आरबीआइ ने वित्त वर्ष 23 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के विकास के अनुमान को 7.2% से घटाकर 7% कर दिया है।
ऊंची रहेगी महंगाई दर
वैश्विक जिंस कीमतों में हालिया सुधार अगर जारी रहता है तो आने वाले महीनों में लागत का दबाव कम हो सकता है। इस समय मुद्रास्फीति 7% के आसपास है। हमें उम्मीद है कि साल की दूसरी छमाही में यह 6% पर बनी रहेगी।
बैंक दरें
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर को भी रेपो रेट के अनुसार बढ़ाकर क्रमशः 5.65% और 6.15% कर दिया गया।
आरबीआइ ने बढ़ाई रेपो रेट
आरबीआइ ने लगातार चौथी बार रेपो रेट 50 बीपीएस बढ़ाकर 5.9% कर दिया है।
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