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RBI Repo Rate Hike: आरबीआई ने रेपो रेट में 0.35 फीसद की वृद्धि की, महंगे होंगे आटो व होम लोन

महंगाई बढ़ने के खतरे के बीच आरबीआई ने ग्रोथ रेट के अनुमान को घटा कर 6.8 फीसद कर दिया है। ग्रोथ रेट को लेकर इस असमंजसता के बावजूद केंद्रीय बैंक ने कहा है कि भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक प्रगति करने वाला देश बना रहेगा।

By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Wed, 07 Dec 2022 04:10 PM (IST)
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RBI Repo Rate Hike: Governor Shaktikanta Das announced increase in repo rate
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, यह बयान देते हुए आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में 35 आधार अंकों की वृद्धि करने का ऐलान कर दिया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पिछले तीन दिनों से चल रही बैठक में छह में से पांच सदस्यों ने मई, 2022 के बाद रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी का समर्थन किया।

इस वृद्धि के बाद रेपो रेट 6.25 फीसद हो गया है। साथ ही यह तय हो गया है कि बैंक जल्द ही होम लोन, आटो लोन व दूसरे पर्सनल कर्जों के अलावा कारपोरेट लोन की दरों में वृद्धि करेंगे। पिछले सात महीनों में रेपो रेट पांच बार बढ़ाई जा चुकी है और इसकी वजह से इस दौरान होम लोन व आटो लोन औसतन 1.5 फीसद महंगी हो चुकी हैं जबकि कारपोरेट लोन की दरें भी औसतन दो फीसद तक बढ़ चुकी हैं।

क्या होती है रेपो रेट

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर कोई केंद्रीय बैंक अपने देश के बैंकों को अतिरिक्त फंड उपलब्ध कराता है जिसका इस्तेमाल वो अल्पकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं। भारत में बैंकों जिस दर पर ग्राहकों को कर्ज उपलब्ध कराते हैं उसे तय करने में रेपो रेट की अहम भूमिका होती है। बैंकिंग सिस्टम में अतिरिक्त फंड को सोख कर बाजार में मांग को कम करने के लिए इसमें वृद्धि करता है। कर्ज की मांग कम होने से महंगाई में नरमी आती है।

अमेरिका, ब्रिटेन, जापान समेत तमाम बड़े देश महंगाई से जूझ रहे हैं और इसे काबू में करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ा रहे हैं। आरबीआइ गवर्नर डॉ. दास ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया जिससे यह लगे कि इसकी चुभन कम होने वाली है। उन्होंने महंगाई के और बढ़ने के भी संकेत दिये। यही वजह है कि वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई दर के लक्ष्य को 6.7 फीसद पर बरकरार रखा गया है।

आर्थिक विकास के अनुमान

महंगाई दर के लक्ष्य में कोई बदलाव नहीं करते हुए आरबीआइ गवर्नर ने चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर के अनुमान को सात फीसद से घटा कर 6.8 फीसद कर दिया है। वित्त वर्ष के शुरुआत में आरबीआइ ने देश की ग्रोथ रेट के 7.8 फीसद रहने की बात कही थी। ग्रोथ रेट अनुमान को घटाने के पीछे भी महंगाई के तीखे तेवरों को ही कारण बताया गया है। तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर, 2022 में देश की ग्रोथ रेट के 4.4 फीसद और जनवरी-मार्च, 2023 की तिमाही में इसके घट कर 4.2 फीसद रहने की बात कही गई है।

केंद्र सरकार की तरफ से 30 नवंबर, 2022 को जारी आंकड़ों में दूसरी तिमाही में ग्रोथ रेट के 6.3 फीसद रहने की बात कही गई है जबकि आरबीआइ का कहना है कि उक्त तिमाही में रीयल टर्म में ग्रोथ रेट 5.9 फीसद रही है। 

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