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RBI ने KYC के लिए राजनीतिक व्यक्तियों की परिभाषा को किया संशोधित, कर्ज और लेनदेन में मिलेगी सहूलियत

आरबीआई ने अपने मानदंडों के तहत राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों (पीईपी) की परिभाषा को बदला है। इससे उन्हें कर्ज लेने समेत बैंक से जुड़े विभिन्न लेनदेन करने में सहूलियत होगी। इसके लिए आरबीआई ने (केवाईसी) नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। पीईपी से संबंधित पुराने मानदंड में स्पष्टता की कमी होने से बैंक अधिकारियों सांसदों और अन्य लोगों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Fri, 05 Jan 2024 08:05 PM (IST)
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आरबीआई ने अपने मानदंडों के तहत राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों की परिभाषा को बदला है। (फाइल फोटो)
पीटीआई, मुंबई। आरबीआई ने अपने मानदंडों के तहत राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों (पीईपी) की परिभाषा को बदला है। इससे उन्हें कर्ज लेने समेत बैंक से जुड़े विभिन्न लेनदेन करने में सहूलियत होगी। इसके लिए आरबीआई ने 'अपने ग्राहक को जानो' (केवाईसी) नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। पीईपी से संबंधित पुराने मानदंड में स्पष्टता की कमी होने से बैंक अधिकारियों, सांसदों और अन्य लोगों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। कई बार पीईपी के लिए कर्ज जुटाना या बैंक खाते खोलना मुश्किल हो रहा था।

आरबीआई ने केवाईसी मानक संशोधित किए

इस समस्या को देखते हुए आरबीआई ने राजनीतिक रूप से संबद्ध लोगों के लिए केवाईसी मानक संशोधित किए हैं। संशोधित केवाईसी निर्देशों के तहत पीईपी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें किसी दूसरे देश ने प्रमुख सार्वजनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी है। इनमें राज्यों/ सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी या न्यायिक या सैन्य अधिकारी, सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी और महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों के अधिकारी भी शामिल हैं।

नए नियमों में उस व्यक्ति को भी शामिल किया गया है जिसे किसी अन्य देश ने सार्वजनिक समारोह की जिम्मेदारी सौंपी है। पीईपी के बैंक खातों में मौजूदा प्रविधानों के तहत अतिरिक्त केवाईसी मानदंड हैं और एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी को इस बारे में विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों और अन्य वित्तीय सेवाओं के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से इन बदलावों को तत्काल लागू करने के लिए कहा है।

सीपी और एनसीडी जारी करने के नियमों को किया गया सख्त

आरबीआई ने एक वर्ष तक की प्रारंभिक परिपक्वता वाले अल्पकालिक वाणिज्यिक पत्र (सीपी) और गैर परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जारी करने के नियमों को सख्त कर दिया है। एक अप्रैल से लागू होने वाले नए मानदंडों में छह प्रमुख बदलाव शामिल हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ऐसे अल्पकालिक वाणिज्यिक पत्र की अवधि सात दिन से कम या एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकती है।

इसी तरह एनसीडी की अवधि 90 दिन से कम या एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकती है। एक अप्रैल से जारी किए जाने वाले सीपी और एनसीडी का न्यूनतम मूल्य पांच लाख रुपये और उसके बाद पांच लाख रुपये के गुणक में होगा। इन दोनों ऋण उपकरणों (डेट इंस्ट्रूमेंट) को विकल्पों के साथ जारी नहीं किया जा सकता है।

इनका निपटान टी+4 कार्य दिवसों से अधिक की अवधि के भीतर किया जाना आवश्यक है। सीपी और एनसीडी केवल डीमैट रूप में जारी किए जाएंगे और सेबी में पंजीकृत डिपाजिटरी के पास ही रखे जा सकेंगे। एक खास बात यह है कि केंद्रीय बैंक ने इन उपकरणों के माध्यम से जुटाए गए धन की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है।