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महंगाई का दबाव हुआ कम, विकास यात्रा रहेगी जारी; सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश होगा भारत: RBI

रिपोर्ट के अनुसार भारतीय बैंक व गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) मजबूत बनी हुई हैं लेकिन नए पैदा होने वाले जोखिमों को लेकर उनकी क्षमता की जांच किया जाना जरूरी है। इस बारे में वर्ष 2023-24 में नए नियमों की घोषणा की जाएगी।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 30 May 2023 07:52 PM (IST)
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वित्त वर्ष 2023-24 में 5.2 प्रतिशत रहेगी महंगाई दर-
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार के स्तर पर अगर ढांचागत सुधारों को लेकर कोई सुस्ती नहीं दिखाई गई तो देश की तेज आर्थिक विकास यात्रा आगे भी जारी रहेगी। मंगलवार को आरबीआइ की तरफ से जारी सालाना रिपोर्ट का लब्बो-लुआब यही है। जिस महंगाई ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान सबसे बड़ी चुनौती पेश की थी, उसकी स्थिति सुधर रही है और इस दौरान इसकी दर 6.7 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 5.2 प्रतिशत आ जाने की संभावना है।

आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष में बनी रहेगी 6.5 प्रतिशत

महंगाई कम होने के बावजूद देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत बनी रहेगी, जो पिछले वित्त वर्ष के संभावित सात प्रतिशत की विकास दर से तो कम रहेगी, लेकिन दुनिया के दूसरे सभी प्रमुख देशों के मुकाबले ज्यादा होगी। आरबीआइ की रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर चुनौतियों के कम होने और अवसरों के बढ़ने की बात कही गई है।

भू-राजनीतिक तनाव से पैदा हो सकती हैं चुनौतियां

रिपोर्ट में वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार सात प्रतिशत रहने की बात कही गई है। खास बात यह है कि पिछले वित्त वर्ष के आर्थिक विकास दर के अनुमानों में आरबीआइ ने कई बार बदलाव किया है। इस रिपोर्ट में घरेलू स्तर पर इकोनमी के तकरीबन हर क्षेत्र में मजबूती आने की बात कही है। अगर कोई चुनौती या परेशानी पैदा होगी तो वह वैश्विक अनिश्चितता व भू-राजनीतिक तनाव से होगी।

आरबीआइ की नजर में क्या है अर्थव्यवस्था का हाल ?

इसका असर विकास दर की संभावनाओं पर साफ दिखाई दे सकता है। ऐसे में सरकार को आगाह किया गया है कि उसे ढांचागत सुधारों को लेकर सुस्ती नहीं बरतनी चाहिए और इन्हें जारी रखनी चाहिए। आरबीआइ के मुताबिक, मध्यम काल में तेज विकास दर की संभावनाओं को बनाए रखने के लिए ढांचागत सुधारों को जारी रखना बेहद जरूरी है। यह बात पिछले वर्ष में हुए यूक्रेन युद्ध और हाल ही में अमेरिका और यूरोप के कुछ बैंकों के असफल होने के अनुभव को ध्यान में रखते हुए कहा गया है।

भारतीय बैंक और एनबीएफसी की स्थिति मजबूत

रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बैंक व गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) मजबूत बनी हुई हैं, लेकिन नए पैदा होने वाले जोखिमों को लेकर उनकी क्षमता की जांच किया जाना जरूरी है। इस बारे में वर्ष 2023-24 में नए नियमों की घोषणा की जाएगी। कर्ज नहीं चुका पाने वाली कंपनियों के मामले के निपटारे को लेकर भी यह संकेत दिया गया है कि मौजूदा व्यवस्था में बदलाव किए जाएंगे।

डिजिटल बैंकिंग के प्रसार को किया जाएगा और तेज

डिजिटल बैंकिंग के प्रसार को किया जाएगा और तेज रिपोर्ट में बैंक ग्राहकों की मौजूदा सुविधाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भी कई भावी कदमों के बारे जानकारी दी गई है। ग्राहकों की सुविधा को केंद्र में रखते हुए देश में बैंकिंग सेक्टर को साइबर सेंधमारी से ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए नए प्रयास किए जाएंगे और डिजिटल बैंकिंग का प्रसार भी तेजी से बढ़ाने की बात इसमें कही गई है।

आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस का किया जाएगा इस्तेमाल

भारत की डिजिटल भुगतान व्यवस्था को और अत्याधुनिक बनाने और यूपीआइ के इस्तेमाल के दायरे को बढ़ाने के लिए जल्द ही कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत यूपीआइ का इस्तेमाल प्री-पेड क्रेडिट कार्ड की तरह करने का फैसला होना है। यह भी बताया गया है कि आम बैंकिंग ग्राहकों की शिकायतों का तेजी से निवारण को लेकर भी मौजूदा तंत्र को बेहतर बनाने की योजना बन रही है। इसके तहत आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा।