RBI के जवाब से मुश्किल में आ सकता है ई-कॉमर्स कारोबार, कैश ऑन डिलीवरी को बताया गैरकानूनी
एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा है कि कैश ऑन डिलिवरी रेगुलेटरी ग्रे एरिया हो सकता है
By Praveen DwivediEdited By: Updated: Wed, 25 Jul 2018 09:09 AM (IST)
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल पर आरबीआई के जवाब से ई-कॉमर्स कारोबार मुश्किल में पड़ सकता है। फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसी प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर खरीद पर भुगतान के लिए उपलब्ध करवाए जाने वाले कैश ऑन डिलीवरी विकल्प को आरबीआई ने गैरकानूनी बताया है। आरटीआई के जवाब में आरबीआई का कहना है कि कैश ऑन डिलिवरी रेगुलेटरी ग्रे एरिया हो सकता है। एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले ये यह जानकारी सामने आई है।
आरटीआई में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए, आरबीआई ने कहा एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर पेमेंट का कलेक्शन (संग्रह) अधिकृत नहीं है। इंडिया एफडीआई वॉच के धर्मेंद्र कुमार की ओर से फाइल की गई आरटीआई के जवाब में शीर्ष बैंक ने कहा, “अग्रिगेटर्स और एमेजॉन-फ्लिपकार्ट जैसी पेमेंट इंटरमीडियरीज पेमेंट्स एंड सेटलमेंट्स सिस्टम्स एक्ट, 2007 के तहत अधिकृत नहीं हैं।”धर्मेंद्र कुमार की ओर से फाइल की गई आरटीआई में पूछा गया था कि क्या फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों का ग्राहकों से कैश कलेक्ट करना और उसे अपने मर्चेंट्स में बांटना क्या पेमेंट्स सेटलमेंट्स सिस्टम्स एक्ट, 2007 के अंतर्गत आता है?
अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन भुगतान का उल्लेख करता है, लेकिन यह कैश-ऑन-डिलीवरी के जरिए पैसा प्राप्त करने के बारे में स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं करता है। आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा, “इस मामले को लेकर रिजर्व बैंक ने खास निर्देश नहीं दिए हैं।”आपको बता दें कि कैश ऑन डिलीवरी के माध्यम से फ्लिपकार्ट, एमेजॉन और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियां पैसा अपने ग्राहकों से इकट्ठा करती हैं और वस्तुओं की आपूति होने पर वो ऐसा थर्ड पार्टी वेंडर के जरिए करती हैं।