Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

मुद्रास्फीति से हटकर अब वृद्धि को बढ़ाने पर ध्यान दे आरबीआई, MPC मेंबर ने की अपील

खुदरा मुद्रास्फीति के आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य चार प्रतिशत के करीब पहुंचने के साथ ही मौद्रिक नीति को आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देना चाहिए। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने सोमवार को कहा कि 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति लक्ष्य से केवल 0.5 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है और प्रमुख मुद्रास्फीति भी काबू में है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 24 Jun 2024 06:48 PM (IST)
Hero Image
जयंत वर्मा कई बार रेट कट की वकालत कर चुके हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। खुदरा मुद्रास्फीति के आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य चार प्रतिशत के करीब पहुंचने के साथ ही मौद्रिक नीति को आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देना चाहिए। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने सोमवार को कहा कि 2024-25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति लक्ष्य से केवल 0.5 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है, और प्रमुख मुद्रास्फीति भी काबू में है।

उन्होंने बताया, 'असहनीय रूप से उच्च मुद्रास्फीति की लंबी अवधि खत्म हो रही है। अगली कुछ तिमाहियों में, हम महंगाई में और अधिक कमी देखेंगे और मुद्रास्फीति धीमे-धीमे चार प्रतिशत के लक्ष्य पर आ जाएगी।'

मुद्रास्फीति से ग्रोथ पर पड़ा असर

भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम, अहमदाबाद) में प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई में वृद्धि की कीमत चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि 2023-24 में आर्थिक वृद्धि 8.2 प्रतिशत थी, जबकि 2024-25 में इसके करीब 0.75 प्रतिशत से एक प्रतिशत तक कम रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि भारत में आठ प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने की क्षमता है। इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।

जयंत कर चुके हैं रेट कट की वकालत

एमपीसी के बाहरी सदस्य जयंत आर वर्मा ने नीतिगत दरों को 25 आधार अंकों तक कम करने के पक्ष में मतदान किया था। उन्हें एक अन्य सदस्य आशिमा गोयल का भी समर्थन मिला है। वहीं, MPC के सदस्य शशांक भिडे, राजीव रंजन (आरबीआई के कार्यकारी निदेशक), माइकल देबव्रत पात्रा (आरबीआई के डिप्टी गवर्नर) और दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया था।

RBI कमेटी के दो मेंबर ने ऐसे वक्त में रेट कट की वकालत की थी, जब स्विट्जरलैंड, स्वीडन, कनाडा और यूरोपीय क्षेत्र की कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने पहले ही 2024 के दौरान ब्याज दरों में रियायत देने का सिलसिला शुरू कर दिया है। दूसरी ओर अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं, जो पहले अधिक थीं।

यह भी पढ़ें : नोट छापकर गरीबी दूर क्यों नहीं कर सकती सरकार, कहां आती है दिक्कत?