फर्जी लोन ऐप की पहचान के लिए जल्द आएगा नया सिस्टम - RBI ने अंकुश लगाने के लिए रिपाजिटरी बनाने का किया एलान
अनधिकृत इकाइयों पर लगाम लगाने के लिए RBI ने गुरुवार ने डिजिटल ऋण देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े एकत्रित करने को प्रस्ताव दिया। इसके लिए केंद्रीय बैंक ने एक अन्य महत्वपूर्ण कदम में यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। आरबीआई ने बैंक तथा एनबीएफसी के डीएलए के आंकड़े (रिपॉजिटरी) तैयार करने का प्रस्ताव किया है।
पीटीआई, मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल ऋण देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े एकत्रित करने का बृहस्पतिवार को प्रस्ताव दिया, ताकि अनधिकृत इकाइयों पर लगाम लगाई जा सके।
केंद्रीय बैंक ने एक अन्य महत्वपूर्ण कदम में यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।
आरबीआई के गवर्नर ने की बैठक
‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ एक व्यक्ति (प्राइमरी यूजर) को किसी अन्य व्यक्ति (सेकेंडरी यूजर) को प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते से एक सीमा तक यूपीआई लेनदेन करने की अनुमति देने में सक्षम बनाएगी।आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक ने भारत में डिजिटल ऋण परिदृश्य के व्यवस्थित विकास के लिए कई उपाय किए हैं।उन्होंने कहा कि अनधिकृत डिजिटल ऋण देने वाले ऐप (डीएलए) से जनरेट होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए आरबीआई ने बैंक तथा एनबीएफसी के डीएलए के आंकड़े (रिपॉजिटरी) तैयार करने का प्रस्ताव किया है।
दास ने कहा कि विनियमित संस्थाएं (आरई) इसमें अपने डीएलए के बारे में जानकारी देंगे और समय के साथ उसे अद्यतन भी करेंगी। इस कदम से उपभोक्ताओं को अनधिकृत ऋण देने वाले ऐप की पहचान करने में मदद मिलेगी।यह भी पढ़ें- RBI MPC Meet 2024: UPI से टैक्स पेमेंट लिमिट में हुई बढ़ोतरी, जल्द मिलेगी डेलिगेटेड पेमेंट्स की भी सुविधा