2000 रुपये के नोट वापस लेने के फैसले का क्या असर हुआ, RBI ने खुद बताया
केंद्रीय बैंक का कहना है कि 2000 रुपये के नोट के चलन से हटने का फर्क नजर आने लगा है। देश में नौ फरवरी को खत्म सप्ताह में सर्कुलेशन में रहने वाले नोटों की संख्या में ग्रोथ 3.7 फीसदी रह गई है। वहीं एक साल पहले ये 8.2 फीसदी थी। करेंसी इन सर्कुलेशन का मतलब अर्थव्यवस्था में चल रहे कुल नोट और सिक्कों से है।
पीटीआई, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 रुपये के नोट की छपाई बंद करके पिछले साल इसे वापस लेने की घोषणा की थी। इस फैसले का जनता, बैंक और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है, इसकी जानकारी खुद RBI ने दी है।
केंद्रीय बैंक का कहना है कि 2,000 रुपये के नोट के चलन से हटने का फर्क नजर आने लगा है। देश में नौ फरवरी को खत्म सप्ताह में सर्कुलेशन में रहने वाले नोटों की संख्या में ग्रोथ 3.7 फीसदी रह गई है। वहीं, एक साल पहले ये 8.2 फीसदी थी। करेंसी इन सर्कुलेशन का मतलब अर्थव्यवस्था में चल रहे कुल नोट और सिक्कों से है। इसमें बैंकों के पास जमा नकदी को घटाकर मालूम किया जाता है कि जनता के हाथ में कितनी करेंसी है।आरबीआई ने बताया कि 2000 का नोट बंद होने से कमर्शियल बैंकों के टोटल डिपॉजिट में डबल डिजिट ग्रोथ दिखी। बैंकों की रिजर्व करेंसी में ग्रोथ 9 फरवरी को घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई। एक साल पहले से तुलना करें, तो यह 11.2 फीसदी थी। रिजर्व करेंसी का मतलब करेंसी इन सर्कुलेशन के साथ-साथ RBI के पास पड़े बैंकों के डिपॉजिट और अन्य जमा से है।
पिछले साल हुआ था नोट वापस लेने का ऐलान
रिजर्व बैंक ने 19 मई 2023 को ऐलान किया था कि वह 2,000 रुपये का नोट चलन से वापस रहा है। जनता को नोट वापस बैंकों में जमा करने के लिए 30 सितंबर 2023 तक का समय दिया गया था। फिर इसे एक हफ्ते तक बढ़ाया भी गया। अब बैंकों में 2000 का नोट नहीं बदलता।
31 जनवरी 2024 तक 2000 रुपये के करीब 97.5 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए हैं। अब सिर्फ 8,897 करोड़ रुपये मूल्य के नोट जनता के पास हैं। नवंबर 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करके 2000 रुपये के बैंक नोट लाए गए थे।