RBI ने दो दशक पुराने गाइडेंस नोट को किया अपडेट, बैंकों और NBFC पर होगा सीधा असर
रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र के लिए ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट पर अपने गाइडेंस नोट को अपडेट किया है और इसका दायरा आवास वित्त कंपनियों सहित NBFC तक भी बढ़ा दिया। 2005 के ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट पर गाइडेंस नोट में केवल कॉमर्शियल बैंकों शामिल थे। आइए जानते हैं कि रिजर्व बैंक ने यह फैसला क्यों लिया और इसका क्या असर होगा।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को वित्तीय क्षेत्र के लिए ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट पर अपने 'गाइडेंस नोट' को अपडेट किया है और इसका दायरा आवास वित्त कंपनियों सहित NBFC तक भी बढ़ा दिया। 2005 के 'ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट पर गाइडेंस नोट' में केवल कॉमर्शियल बैंकों शामिल थे।
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि परिचालन संबंधी व्यवधान किसी भी रेगुलेटेड एंटिटी (आरई) के वजूद को खतरे में डाल सकता है। उसके ग्राहकों और अन्य बाजार सहभागियों को प्रभावित कर सकता है। आखिर में उसका वित्तीय स्थिरता पर काफी बुरा असर पड़ता है।
इन गड़बड़ियों से मुकाबला
परिचालन से जुड़ी गड़बड़ी का कारण कुछ भी हो सकता है। जैसे कि कोई मानवीय वजह, आईटी से जुड़े खतरे, भू-राजनीतिक संघर्ष, व्यापार में व्यवधान, आंतरिक या बाहरी धोखाधड़ी, थर्ड पार्टी पर निर्भरता या फिर कोई कुदरती कारण। आरबीआई के गाइडेंस नोट का मकसद किसी भी रेगुलेटेड संस्था में रिस्क मैनेजमेंट को बेहतर करना है, ताकि ऐसी समस्याओं का संस्था और ग्राहकों पर कम से कम असर हो।जैसे कि अगर कोई रेगुलेटेड संस्था किसी थर्ड पार्टी पर जरूरत से ज्यादा निर्भर है, तो यह उसके लिए सही नहीं है। अगर थर्ड पार्टी के साथ कोई भी मसला होता है, तो इससे रेगुलेटेड एंटिटी का भी कामकाज पड़ सकता है। इसलिए गाइडेंस नोट में बताया जाएगा कि इस तरह की स्थितियों से कैसे निपटा जाए।
गाइडेंस नोट में बदलाव
अपडेट गाइडेंस नोट के मुख्य बदलावों में से एक यह भी है कि अब इसका दायरा कॉमर्शियल बैंकों के साथ ही सभी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां, आवास वित्त कंपनियों और सहकारी बैंकों तक बढ़ा गया है। केंद्रीय बैंक ने 2005 के गाइडेंस नोट को निरस्त कर दिया है, जो केवल कॉमर्शियल बैंकों पर लागू था। नए नोट के सेफ्टी मॉडल में चरण हैं, जिनसे वित्तीय संस्थान में गड़बड़ी के जोखिम को कम किया जाएगा।
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