Modi Oath: रियल एस्टेट सेक्टर को मोदी 3.0 से बड़ी उम्मीदें, घटेंगे या बढ़ेंगे घरों के दाम?
आज (रविवार 9 जून) मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। ऐसे में रियल एस्टेट सेक्टर को पीएम मोदी से काफी उम्मीदें हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो अंतरिम बजट पेश किया था उसमें किफायती हाउसिंग सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिला था क्योंकि फ्लैगशिप स्कीम PMAY-अर्बन के तहत 2 करोड़ से अधिक मकान जोड़े गए थे। ऐसे में इंडस्ट्री को नई सरकार से काफी उम्मीदें हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत में रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) कृषि क्षेत्र के बाद रोजगार देने के मामले में दूसरे नंबर पर है। पिछले 10 साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार ने पीएम आवास योजना (PMAY) के तहत गरीबों के लिए 4 करोड़ से अधिक मकान बनवाए।
आज (रविवार, 9 जून) मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। ऐसे में रियल एस्टेट सेक्टर को पीएम मोदी से काफी उम्मीदें हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो अंतरिम बजट पेश किया था, उसमें किफायती हाउसिंग सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिला था, क्योंकि फ्लैगशिप स्कीम PMAY-अर्बन के तहत 2 करोड़ से अधिक मकान जोड़े गए थे।
रियल एस्टेट इंडस्ट्री की डिमांड
एक्सपर्ट का अनुमान है कि देश का रियल एस्टेट मार्केट 2040 तक 65,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा। ऐसे में इंडस्ट्री का कहना है कि उन्हें अपनी ग्रोथ की रफ्तार को बरकरार रखने के लिए सरकार से लगातार मदद की दरकार होगी।नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) के चेयरपर्सन निरंजन हीरानंदानी का कहना है, 'इकोनॉमिक परफॉरमेंस इंडिकेटर्स को बूस्ट करने के लिए पॉलिसी और स्कीम में आमूलचूल बदलाव करने की जरूरत है। PMAY को भी लगातार बढ़ावा देना होगा। सरकार को टैक्स और जीएसटी को ज्यादा तर्कसंगत बनाना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि अप्रूवल, डेवलपमेंट प्रीमियम और स्टाम्प ड्यूटी जैसी चीजों की लागत भी कम करने से रियल एस्टेट इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। हीरानंदानी ने जोर दिया कि अगर प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करना है, तो जमीन और वित्तीय मंजूरी में गैरजरूरी अड़चनों को दूर करना होगा।
जीएसटी में सुधार की मांग
इंडस्ट्री एक्सपर्ट लगातार सरकार से रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहन देने की मांग कर रहे हैं। इनमें से अहम डिमांड जीएसटी में सुधार से जुड़ी है। सीबीआरई के चेयरपर्सन और सीईओ अंशुमान मैगजीन ने कहा, 'सरकार को निर्माण में लगने वाले कच्चे माल की लागत कम करने पर विचार करना चाहिए। साथ ही, किफायती आवास की परिभाषा को नए सिरे से भी तय करने की जरूररत है। कच्चे माल और श्रम समेत निर्माण की लागत काफी बढ़ी है और उसी हिसाब से किफायती आवास का दोबारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए।'
केंद्रीय बजट 2023-24 में, वित्त मंत्रालय ने पीएम आवास योजना के लिए 79,000 करोड़ रुपये (9.64 अरब डॉलर) की घोषणा की थी। एक साल पहले के मुकाबले इसमें 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।