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अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती का भारत में विदेशी निवेश पर पड़ेगा असर? क्या कह रही सरकार

बुधवार देर रात फेडरल ओपेन मार्केट कमेटी ने नीतिगत दरों को 5.25-5.50 प्रतिशत से 50 आधार अंकों की कटौती करके 4.75-5.0 प्रतिशत करने के लिए मतदान किया था। हालांकि विशेषज्ञों को इससे आधी कटौती की उम्मीद थी। अखास बात यह है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती का फैसला सात से नौ अक्टूबर के बीच आरबीआई की एमपीसी की होने वाली बैठक से पहले लिया गया है।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Thu, 19 Sep 2024 09:00 PM (IST)
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अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने 14 महीनों तक ब्याज दरों को उच्चस्तर पर बरकरार रखा था।
पीटीआई, नई दिल्ली। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने गुरुवार को कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों की कटौती से भारत में विदेशी निवेश पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व ने वही किया है, जो उसे अपनी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा लगता है। हालांकि आरबीआइ भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर ब्याज दर में कटौती पर फैसला लेगा।

मीडिया से बात करते हुए सेठ ने कहा, 'फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ ही वैश्विक आर्थिकी के लिए भी अच्छा कदम है। ब्याज दरों के उच्चस्तर में 50 आधार अंकों की कटौती करने से नहीं लगाता है कि भारत में विदेशी निवेश पर कोई खास असर पड़ेगा। हमें यह देखना होगा कि अन्य अर्थव्यवस्थाएं कैसा व्यवहार करती हैं।'

बुधवार देर रात फेडरल ओपेन मार्केट कमेटी ने नीतिगत दरों को 5.25-5.50 प्रतिशत से 50 आधार अंकों की कटौती करके 4.75-5.0 प्रतिशत करने के लिए मतदान किया था। हालांकि विशेषज्ञों को इससे आधी कटौती की उम्मीद थी। अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने 14 महीनों तक ब्याज दरों को दो दशक से अधिक के उच्चस्तर पर बरकरार रखा था।

खास बात यह है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती का फैसला सात से नौ अक्टूबर के बीच आरबीआइ की एमपीसी की होने वाली बैठक से पहले लिया गया है। जब सेठ से यह पूछा गया कि क्या आरबीआइ ब्याज दरों में कटौती शुरू करेगा तो इस पर उनका कहना था कि एमपीसी का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्या अच्छा है।

उन्होंने कहा, 'जहां तक फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बात है तो इस पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। वैसे अर्थशास्ति्रयों को बिल्कुल उम्मीद नहीं है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में किसी तरह की कमी करने का कदम उठाएगा।' आरबीई ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए फरवरी, 2023 से रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में सकल खुदरा मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने केंद्रीय बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य के नीचे 3.65 प्रतिशत रही है।

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