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ग्रामीण बैंकों की घटेगी संख्या, वित्त मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम

सरकार देश में क्षेत्रीय बैंकों की संख्या कम करना चाहती है। देश में फिलहाल 43 ग्रामीण बैंक हैं। सरकार इस गिनती को घटाकर 28 तक लाना चाहती है। इसके लिए कुछ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में मर्जर करने का प्लान है। इससे बैंकों को लागत कम करने और कैपिटल बेस बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन बैंकों की स्थापना आरआरबी अधिनियम 1976 के तहत की गई थी।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 05 Nov 2024 05:24 PM (IST)
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केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
पीटीआई, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है। इससे ऐसे बैंकों की संख्या वर्तमान के 43 से घटकर 28 हो जाएगी। इसके तहत विभिन्न राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय किया जाएगा।

आरआरबी का विलय आंध्र प्रदेश (जहां सबसे अधिक चार आरआरबी हैं), उत्तर प्रदेश तथा बंगाल (प्रत्येक में तीन) और बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा तथा राजस्थान (प्रत्येक में दो) में किया जाएगा।

तेलंगाना के मामले में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (एपीजीवीबी) की परिसंपत्तियों व देनदारियों को एपीजीवीबी और तेलंगाना ग्रामीण बैंक के बीच विभाजित करने के अधीन होगा।

वित्तीय सेवा विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को भेजे पत्र में कहा, 'एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक' के लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को और अधिक समेकित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।'

नाबार्ड के परामर्श से हो रहा काम

बयान में कहा गया है कि आगे के समेकन के लिए नाबार्ड के परामर्श से एक खाका तैयार किया गया है, जिससे आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी। वित्तीय सेवा विभाग ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों के प्रमुखों से 20 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं। तीन चरणों के विलय के माध्यम से 2020-21 तक ऐसे संस्थानों की संख्या 196 से घटकर 43 रह गई।

इन बैंकों की स्थापना आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों व कारीगरों को ऋण तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करना था। केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 35 प्रतिशत तथा 15 प्रतिशत हिस्सेदारी क्रमश: संबंधित प्रायोजक बैंकों और राज्य सरकारों के पास है।

6.6 लाख करोड़ रुपये का डिपॉजिट

31 मार्च, 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पास कुल 6.6 लाख करोड़ रुपये जमा थे। वहीं, उनका एडवांस 4.7 लाख करोड़ रुपये का था। प्रस्तावित मर्जर के बाद एक राज्य में एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक रह जाएगा।

अगर एसेट्स के हिसाब से देखें, तो देश में अब भी आधे से अधिक बैंकिंग सेक्टर पर सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी है। सरकार ने बैंकों के कामकाज में सुधार करने और कैपिटल के लिए सरकार पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए मर्जर करने की कोशिश की है।

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