Gas Production in India: भारत में गैस उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेगी 'रूबी', जानिए इसके बारे में पूरी डिटेल
Gas Production in India रिलायंस-बीपी द्वारा दक्षिण कोरिया से आई रूबी का उपयोग गैस प्रोडक्शन के लिए किया जाएगा। रूबी तेल उत्पादन में काम आने वाली अत्याधुनिक मशीनों से लैस है। इसमें तेल के भंडारण और ऑफलोडिंग दोनों की व्यवस्था है।
नई दिल्ली, एजेंसी। दुनिया भर में इस समय गैस की भारी कमी देखने को मिल रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद हालात तेजी से बिगड़े हैं। इस बीच देश की सबसे बड़ी निजी तेल और गैस कंपनी रिलायंस ने घरेलू गैस के प्रोडक्शन को बढ़ाने की अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने व्यापारिक साझेदार ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) के साथ मिलकर दक्षिण कोरिया से 'रूबी' नाम की एक विशेष जहाज को भारत ला रहा है, जिसका उपयोग रिलायंस इंडस्ट्रीज के द्वारा केजी- डी6 ब्लॉक में एमजे डीप वाटर ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए किया जाएगा।
दोनों कंपनियां केजी- डी6 ब्लॉक में गहराई में गैस की खोज करने के लिए बंगाल की खाड़ी में रूबी नामक फ्लोटिंग प्रोडक्शन सिस्टम का उपयोग करेंगी। इसका उद्देश्य कृष्णा गोदावरी बेसिन में गैस की प्रचुरता वाले केजी- डी6 ब्लॉक में गैस उत्पादन को बढ़ावा देना है।
क्या है रूबी
रूबी, तेल उत्पादन में काम आने वाली अत्याधुनिक मशीनों से लैस एक जहाज है, जिसमें तेल के भंडारण और ऑफलोडिंग, दोनों की व्यवस्था है। बीपी के मुख्य कार्यकारी बर्नार्ड लूनी ने गुरुवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस जहाज को भेजे जाने की पुष्टि की और कहा कि रूबी ने दक्षिण कोरिया से भारत के काकीनाडा तक 5000 किलोमीटर की यात्रा के लिए रवाना किया गया है, जहां वह घरेलू गैस उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेगी। लूनी ने अपने पोस्ट में कहा कि मैं इस उद्योग में कई सालों से हूं लेकिन इस तरह के जहाजों का विशाल आकार और उनको बनाने की इंजीनियरिंग प्रतिभा मुझे अभी भी आश्चर्यचकित करती है।
केजी-6 ब्लॉक का सबसे बड़ा गैस फील्ड
एमजे-1, धीरुभाई-1 और 3 गैस फील्ड्स से 2000 मीटर नीचे खोजा गया है। यह केजी-6 ब्लॉक में सबसे बड़ा गैस फील्ड है। एमजे-1 में अनुमानित गैस 0.988 ट्रिलियन क्यूबिक फीट तक हो सकती है। इस फील्ड में कच्चा तेल भी है, जिसे फ्लोटिंग प्रोडक्शन सिस्टम के जरिए निकाला जाएगा।
विदेशी मुद्रा की होगी बचत
रूबी के आने से तेल और गैस की उत्पादक तकनीक में कई बदलाव आएंगे। इससे महंगी विदेशी मशीनों और जहाजों पर निर्भरता कम होगी। रिलायंस और बीपी के ज्वाइंट वेंचर की यह एक बड़ी उपलब्धि है। इससे न केवल देश के गैस उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि करीब 10 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने हाल ही में कहा था कि एमजे क्षेत्र के 2022 के अंत तक चालू होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि केजी-डी6 ने भारत के गैस उत्पादन में लगभग 30% का योगदान दिया है।