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लक्ष्य से ज्यादा राजस्व की प्राप्ति करेगी सरकार: वित्त मंत्री

सरकार चालू वित्त वर्ष में लक्ष्य से ज्यादा राजस्व की उगाही करेगी। ये दावा एनडीए सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने किया है। जेटली ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में लक्ष्य से कम राजस्व प्राप्ति के बाद सरकार चालू वित्त वर्ष में बजट में दिए गए 13.64 लाख करोड़ के आंकड़ों को भी पार कर जाएगी।

By Edited By: Updated: Mon, 21 Jul 2014 02:38 PM (IST)
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नई दिल्ली। सरकार चालू वित्त वर्ष में लक्ष्य से ज्यादा राजस्व की उगाही करेगी। ये दावा एनडीए सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने किया है। जेटली ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में लक्ष्य से कम राजस्व प्राप्ति के बाद सरकार चालू वित्त वर्ष में बजट में दिए गए 13.64 लाख करोड़ के आंकड़ों को भी पार कर जाएगी।

आयकर विभाग के 30वें वार्षिक समारोह कार्यक्रम के संबोधन के दौरान वित्त मंत्री अरूण जेटली ने ये बातें कही। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2014-15 में राजस्व प्राप्ति न सिर्फ अपने लक्ष्य तक पहुंचेगा बल्कि उससे भी ऊपर जाएगा। इस दौरान कार्यक्रम में विभाग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल, चीफ कमिश्नर और डायरेक्टर जनरल मौजूद थे। कार्यक्रम में आयकर विभाग की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि विभाग की विश्वसनीयता ही इसकी सबसे बड़ी पूंजी है।

पीआइबी ने भी ट्वीट कर बताया कि आयकर विभाग के अधिकारियों से नैतिकता के उच्च मानकों की उम्मीद की जाती है। यही वजह है कि इस विभाग की विश्वसनीयता को ही इसकी सबसे बड़ी पूंजी मानी जाती है।

चालू वित्त वर्ष में सरकार ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के करों को मिलाकर 13.64 लाख करोड़ के राजस्व प्राप्ति का अनुमान लगाया है। जबकि वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान राजस्व घाटा 77 हजार करोड़ का था। पिछले वित्त वर्ष में सरकार का बजट 12.35 लाख करोड़ का था जबकि राजस्व प्राप्ति 11.58 लाख करोड़ ही हुई थी। अर्थव्यवस्था में मंदी को लेकर चालू वित्त वर्ष में अप्रत्यक्ष करों को लेकर कुछ शंकाएं हैं। जबकि आयकर विभाग अपने मोर्चे पर लक्ष्य से ज्यादा राजस्व प्राप्ति की उम्मीद कर रहा है।

पिछले सप्ताह वित्त सचिव शशिकांत दास ने भी ये माना था कि सरकार प्रत्यक्ष करों के मोर्चे पर तो अपना लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर लेगी, जबकि अप्रत्यक्ष करों के मोर्चे पर सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं, लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों में लिए गए फैसले इसे पटरी पर ले आएंगे।

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