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राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा- कर संग्रह बजट अनुमान से चार लाख करोड़ रुपये रहेगा अधिक

राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बुधवार को कहा कि कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में बजट अनुमान से लगभग चार लाख करोड़ रुपये अधिक रहने का अनुमान है। आयकर सीमा शुल्क और जीएसटी संग्रह में वृद्धि से इसके अनुमानित लक्ष्य को बड़े आंकड़े के साथ पार करने की उम्मीद है।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Wed, 23 Nov 2022 11:21 PM (IST)
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राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा- कर संग्रह बजट अनुमान से चार लाख करोड़ रुपये रहेगा अधिक। फाइल फोटो।
नई दिल्ली,पीटीआइ। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बुधवार को कहा कि कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में बजट अनुमान से लगभग चार लाख करोड़ रुपये अधिक रहने का अनुमान है। आयकर, सीमा शुल्क और जीएसटी संग्रह में वृद्धि से इसके अनुमानित लक्ष्य को बड़े आंकड़े के साथ पार करने की उम्मीद है। मार्च, 2023 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में निर्धारित कर संग्रह लक्ष्य लगभग 27.50 लाख करोड़ रुपये है।

जीडीपी में वृद्धि की तुलना में अधिक बनी रहेगी राजस्व में बढ़ोतरी

बजाज ने एक साक्षात्कार में कहा कि कर राजस्व में बढ़ोतरी जीडीपी में वृद्धि की तुलना में अधिक बनी रहेगी। इससे अर्थव्यवस्था को 'संगठित' बनाने तथा बेहतर अनुपालन में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में व्यक्तिगत और कारपोरेट कर समेत प्रत्यक्ष कर संग्रह 17.50 लाख करोड़ रुपये के करीब रह सकता है। अप्रत्यक्ष करों (सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और जीएसटी) की हिस्सेदारी 14 लाख करोड़ रुपये के करीब होगी।

कर संग्रह करीब 31.50 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान

सचिव के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में कुल कर संग्रह करीब 31.50 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह क्रमश: 14.20 लाख करोड़ रुपये और 13.30 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था, जिससे कुल आंकड़ा 27.50 लाख करोड़ रुपये का बनता है।

बहुत सारे आंकड़ों का कर रहे हैं उपयोग

बजाज ने कहा कि हम बहुत सारे आंकड़ों का उपयोग कर रहे हैं। हमारे पास आयकर, जीएसटी विभाग और कारपोरेट मामलों के मंत्रालय का डेटा है। हमें उच्च मूल्य व्यय के बारे में भी जानकारी मिल रहा है। अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी को संगठित बनाने से अनुपालन में सुधार में मदद मिली है। मालूम हो कि वित्त वर्ष 2020-21 में प्रत्यक्ष कर संग्रह लगभग 50 प्रतिशत बढ़कर 14.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।

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