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Rice exports: गैर-बासमति सफेद चावल पर आया बड़ा अपडेट, केवल ये निर्यातक ही निर्यात कर सकते हैं अपनी खेप

सरकार ने देश के चावल निर्यात प्रतिबंध पर एक महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है। दरअसल सरकार ने आज स्पष्ट किया कि जिन निर्यातकों ने 20 जुलाई को चावल निर्यात प्रतिबंध की घोषणा से पहले निर्यात शुल्क का भुगतान किया है उन्हें इस शिपमेंट को शिप करने की अनुमति दी जाएगी। 20 जुलाई को लगाया गया था गैर-बासमति सफेद चावल पर बैन। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

By AgencyEdited By: Gaurav KumarUpdated: Wed, 30 Aug 2023 04:52 PM (IST)
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20 जुलाई को सरकार ने गैर-बासमति सफेद चावल के निर्यात पर लगाया था बैन
नई दिल्ली, एजेंसी: देश में लगे चावल के निर्यात पर बैन को लेकर सरकार ने बड़ा अपडेट दिया है। दरअसल सरकार ने आज यह स्पष्ट करते हुए कहा कि जिन निर्यातकों ने 20 जुलाई को चावल निर्यात पर प्रतिबंध की अधिसूचना जारी होने से पहले निर्यात शुल्क का भुगतान कर दिया है, उन्हें उस खेप को भेजने की अनुमति दी जाएगी।

गैर-बासमती सफेद चावल पर लगा है निर्यात बैन

आपको बता दें कि 20 जुलाई को, सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध निर्णय को अधिसूचित करते समय, डीजीएफटी ने कुछ खेपों के बारे में बताया था जिन्हें निर्यात किया जा सकता है।

इस समय सीमा तक अगर पेमेंट हुआ है तभी मिलेगी अनुमति

निदेशालय ने 29 अगस्त की एक अधिसूचना में कहा है कि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति तब दी जाएगी जब निर्यात शुल्क का भुगतान 20 जुलाई, 2023 को 21:57:01 बजे से पहले किया गया हो।

इसमें कहा गया है कि यदि खेप 20 जुलाई को 21:57:01 बजे से पहले सीमा शुल्क को सौंप दी गई है और इस निर्दिष्ट समय से पहले निर्यात के लिए सीमा शुल्क प्रणाली में पंजीकृत है या सीमा शुल्क स्टेशन के संबंधित संरक्षक के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में पंजीकृत है, उन खेपों को 30 अक्टूबर तक अनुमति दी जाएगी।

1,200 डॉलर प्रति टन से नीचे बासमती चावल का निर्यात नहीं

अभी हाल ही में सरकार ने 1,200 अमेरिकी डॉलर (लगभग 100,000 रुपये) प्रति टन से नीचे बासमती चावल का निर्यात नहीं करने का फैसला किया है। यह निर्णय बासमती चावल के अलावा अन्य किस्मों के चावल के निर्यात को रोकने के लिए है। 

केंद्र सरकार ने APEDA को निर्देश दिया गया है कि वह 1,200 डॉलर प्रति टन से कम के अनुबंध पंजीकृत न करें। सरकार की मानें तो घरेलू बाजार में चावल की कीमतों को काबू में रखने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।