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Right To Repair: सस्ते में करा सकेंगे घरेलू आइटम की रिपेयरिंग, राइट टू रिपेयर फ्रेमवर्क से कंपनियों को जुड़ने के निर्देश

उपभोक्ता मामले मंत्रालय का मानना है कि इस प्रकार के आइटम के खराब होने पर कई बार उपभोक्ता सही जानकारी के अभाव में उसे रिपेयर कराने की जगह नए आइटम ले आते हैं। उत्पाद में लगे कौन से पा‌र्ट्स की क्या कीमत है और उसे ठीक कराने में कितना खर्च आएगा इस प्रकार की जानकारी उपभोक्ता को नहीं मिल पाती है।

By Jagran News Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Wed, 27 Mar 2024 08:13 PM (IST)
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रिपेयर सुविधा आसानी से मिलने से लोग तुरंत सामान को नहीं बदलेंगे और इससे ई-कचरे में भी कमी आएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब कार से लेकर मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज जैसी घरेलू वस्तुओं के खराब होने पर उसकी रिपेयरिंग सस्ते में करा सकेंगे। हाल ही में सरकार उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए राइट टू रिपेयर फ्रेमवर्क लेकर आई है और इस फ्रेमवर्क के तहत चार सेक्टर से जुड़ी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को राइट टू रिपेयर पोर्टल पर अपने उत्पाद व उसमें इस्तेमाल होने वाले पा‌र्ट्स की विस्तृत जानकारी के साथ उनके रिपेयर की सुविधा के बारे में बताने के लिए कहा है।

इन चार सेक्टर में उपभोक्‍ताओं को होगा लाभ

इन चार सेक्टर में फार्मिंग उपकरण, मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स एवं ऑटोमोबाइल उपकरण शामिल हैं। फार्मिंग सेक्टर में मुख्य रूप से वाटर पंप मोटर, ट्रैक्टर पा‌र्ट्स तो मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स में मोबाइल फोन, लैपटाप, डाटा स्टोरेज सर्वर, प्रिंटर, हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर जैसे उत्पाद मुख्य रूप से शामिल है। कंज्यूमर ड्यूरेबल में टीवी, फ्रिज, गिजर, मिक्सर, ग्राइंडर, चिमनी जैसे विभिन्न उत्पादों को शामिल किया गया है तो ऑटोमोबाइल्स सेक्टर में यात्री वाहन, कार, दोपहिया व इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।

ठगी का शिकार होने से बचेंगे ग्राहक

उपभोक्ता मामले मंत्रालय का मानना है कि इस प्रकार के आइटम के खराब होने पर कई बार उपभोक्ता सही जानकारी के अभाव में उसे रिपेयर कराने की जगह नए आइटम ले आते हैं। उत्पाद में लगे कौन से पा‌र्ट्स की क्या कीमत है और उसे ठीक कराने में कितना खर्च आएगा, इस प्रकार की जानकारी उपभोक्ता को नहीं मिल पाती है। इसलिए बाजार में बैठे मिस्त्री रिपेयर के नाम पर उनसे मनमानी रकम मांगते हैं। उपभोक्ताओं से कंपनी के या बाहर के मिस्त्री यह कह देते हैं कि अब इस उत्पाद की लाइफ खत्म हो गई है, इसे ठीक कराने से अच्छा इसे बदल लेना है जबकि उस उत्पाद को रिपेयर कराकर अगले कई साल तक उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बड़ी कंपनियों के रिपेयर सेंटर के नाम पर कई फर्जी वेबसाइट भी चल रही हैं जहां उपभोक्ता के साथ ठगी तक हो जाती है। इस प्रकार की दिक्कतों को दूर करने के लिए राइट टू रिपेयर फ्रेमवर्क लाया गया है।

ई-कचरा कम करने में भी मिलेगी मदद

सरकार का मानना है कि रिपेयर सुविधा आसानी से मिलने से लोग तुरंत सामान को नहीं बदलेंगे और इससे ई-कचरे में भी कमी आएगी। राइट टू रिपेयर पोर्टल पर कंपनी के कस्टमर केयर के साथ उत्पाद में लगे पा‌र्ट्स व उनकी कीमत जैसी चीजों की भी जानकारी होगी। इस फ्रेमवर्क से उपभोक्ता को बेचे जाने वाले सामान को लेकर पारदर्शिता भी आएगी। राइट टू रिपेयर पोर्टल पर कंपनी अपने अधिकृत सर्विस सेंटर के साथ थर्ड पार्टी सर्विस सेंटर की भी जानकारी देंगी।

वाटर फिल्टर के कैंडल कब तक चलेगी, इसे भी बताना होगा कंपनी को

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से हाल ही में सभी आरओ व वाटर फिल्टर निर्माता कंपनियों से कहा गया है कि वे अपने फिल्टर पर विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के हिसाब से उपभोक्ताओं को कैंडल के लाइफ के बारे में विस्तृत जानकारी दें। मंत्रालय ने इस बात को महसूस किया कि कैंडल की लाइफ को लेकर वाटर फिल्टर निर्माता कंपनियां कोई स्पष्ट जानकारी नहीं देती हैं और उनके सर्विस सेंटर इसका कई बार गलत फायदा उठाते हैं।