RBI का मुद्रास्फीति लक्ष्य व्यवस्था को छोड़ना हो सकता है जोखिम भरा, कुछ बदलावों की है गुंजाइश
सरकार ने आरबीआई को दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है। हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने नीतिगत ब्याज दर तय करते समय खाद्य मुद्रास्फीति को बाहर रखने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि मौद्रिक नीति का खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है।
पीटीआई, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मुद्रास्फीति लक्ष्य व्यवस्था ने अच्छा काम किया है और इसे अधिक विवेकाधीन व्यवस्था के पक्ष में छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। एक नए रिसर्च पेपर में यह बात कही गई है। रिसर्च पेपर के मुताबिक, अगर आरबीआई मुद्रास्फीति लक्ष्य व्यवस्था को छोड़ता है, तो यह जोखिम भरा और प्रतिकूल साबित हो सकता है।'
भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्य: एक और आकलन' शीर्षक वाले इस शोध पत्र में कहा गया कि भारतीय परिवारों की परिस्थितियों को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति में खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति का भार कम करना चाहिए। इसमें कहा गया, 'आरबीआई की मुद्रास्फीति लक्ष्य व्यवस्था ने अच्छा काम किया है। ऐसे में इसे व्यापक बनाने या अधिक विवेकाधीन व्यवस्था के पक्ष में लक्ष्य को छोड़ने जैसे बदलाव जोखिम भरे और प्रतिकूल होंगे।'
मुद्रास्फीति का 4 फीसदी वाला लक्ष्य उचित
इस रिसर्च पेपर के लेखक अर्थशास्त्री बैरी आइशेनग्रीन (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले) और पूनम गुप्ता (एनसीएईआर) हैं। इसमें आगे कहा गया कि दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत मुद्रास्फीति का लक्ष्य व्यापक रूप से उचित है। शोध पत्र में कहा गया है कि मुद्रास्फीति लक्ष्य को लेकर आरबीआइ और सरकार के बीच जो समझौता हुआ था, उसने लगभग सभी मामलों में आशा अनुरूप प्रदर्शन किया है।
पत्र में कहा गया है कि यह केवल एक बार हुआ है कि मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों (जनवरी 2022-सितंबर 2022 के दौरान) में छह प्रतिशत की ऊपरी सहनीय सीमा के पार रही है।
खाद्य मुद्रास्फीति को बाहर रखने की वकालत
हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने नीतिगत ब्याज दर तय करते समय खाद्य मुद्रास्फीति को बाहर रखने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि मौद्रिक नीति का खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है और इसके दाम काफी कुछ आपूर्ति पक्ष के अनुरूप तय होते हैं। बता दें कि सरकार ने आरबीआइ को दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है।
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