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चलन में मौजूद 500 रुपये के नोट की कुल हिस्सेदारी 86.5 प्रतिशत पर पहुंचीः आरबीआई

वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च तक 2000 रुपये के 3.56 लाख करोड़ रुपये के बकाया नोटों में से 97.7 प्रतिशत जनता द्वारा वापस कर दिए गए। वित्त वर्ष 24 में आरबीआई ने सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर 5101 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 4682 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2024 में 500 रुपये के नोटों की संख्या घटकर 85711 रह गई।

By Agency Edited By: Praveen Prasad Singh Updated: Thu, 30 May 2024 08:40 PM (IST)
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मात्रा के हिसाब से 31 मार्च, 2024 तक 5.16 लाख 500 रुपये के नोट थे
पीटीआई, मुंबई। कुल मुद्रा में 500 रुपये के नोटो की हिस्सेदारी मार्च, 2024 के अंत तक बढ़कर 86.5 प्रतिशत हो गई है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 77.1 प्रतिशत थी। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में इस उछाल का मुख्य कारण मई 2023 में घोषित 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेना बताया गया है। इस मूल्यवर्ग की हिस्सेदारी एक साल पहले की अवधि के 10.8 प्रतिशत से घटकर 0.2 प्रतिशत हो गई है।

7.8 प्रतिशत बढ़ी बैंक नोटों की संख्‍या

मात्रा के हिसाब से 31 मार्च, 2024 तक 5.16 लाख 500 रुपये के नोट थे जबकि 10 रुपये के नोटों की संख्या 2.49 लाख थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 बैंक नोटों का मूल्य जहां 3.9 प्रतिशत बढ़ा है वहीं उनकी संख्या में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसमें क्रमश: 7.8 प्रतिशत और 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

2000 के नोट वापस लेने से नकली नोटों पर लगी लगाम

2,000 रुपये के नोट वापस लेने के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में नोटबंदी के बाद शुरू किए गए इस मूल्यवर्ग के लगभग 89 प्रतिशत नोट चार साल से अधिक समय से प्रचलन में थे और उन्हें बदलने की आवश्यकता थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वापसी का नकली नोटों की संख्या पर भी असर दिखाई दिया है। 2,000 रुपये के नकली नोटों की संख्या एक साल पहले की समान अवधि के 9,806 से बढ़कर 26,000 से अधिक हो गई।

वित्त वर्ष 2024 में घटी 500 रुपये के नोटों की संख्या

वित्त वर्ष 2024 में 500 रुपये के नोटों की संख्या घटकर 85,711 रह गई, जो एक साल पहले 91,110 थी। हाल ही में लॉन्च की गई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) या ई-रुपी पायलट पर, वार्षिक रिपोर्ट में कुल बकाया मूल्य 234.12 करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि मार्च 2023 में यह 16.39 करोड़ रुपये था।

ई-रुपये का 70 प्रतिशत या 164 करोड़ रुपये से अधिक हिस्सा 500 रुपये के नोटों में है, जबकि 32 करोड़ रुपये या 13.7 प्रतिशत के साथ 200 रुपये के नोट दूसरे स्थान पर हैं।

वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च तक 2,000 रुपये के 3.56 लाख करोड़ रुपये के बकाया नोटों में से 97.7 प्रतिशत जनता द्वारा वापस कर दिए गए। वित्त वर्ष 24 में आरबीआई ने सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर 5,101 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 4,682 करोड़ रुपये था।

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने जनता के बीच मुद्रा के उपयोग पर एक सर्वेक्षण भी किया, जिसमें देश भर के 22,000 से अधिक उत्तरदाताओं ने संकेत दिया कि नकदी "प्रचलन में" है, हालांकि भुगतान के डिजिटल तरीके लोकप्रिय हो रहे हैं।