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रुचि सोया का FPO खुलने से पहले शेयर हुए धड़ाम, 11.75 फीसद तक की दिखी गिरावट

खाद्य तेल क्षेत्र की प्रमुख कंपनी रुचि सोया इंडस्ट्रीज का एफपीओ आने से पहले कंपनी के शेयर में गिरावट देखी जा रही है। सोमवार सुबह इसमें 11.75 फीसदी की गिरावट देखी गई। हालांकि बाद में यह गिरावट कुछ कम हुई।

By Lakshya KumarEdited By: Updated: Mon, 21 Mar 2022 11:52 AM (IST)
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रुचि सोया का FPO खुलने से पहले ही शेयर हुए धड़ाम, 11.75 फीसदी की गिरावट
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। खाद्य तेल क्षेत्र की प्रमुख कंपनी रुचि सोया इंडस्ट्रीज का एफपीओ 24 मार्च को खुलेगा और 28 मार्च को बंद होगा। इस संबंध में कंपनी ने शनिवार को कहा कि उसने अपने आगामी फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) के लिए प्रति शेयर 615-650 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है। हालांकि, सोमवार को रुचि सोया के शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली। सुबह इसमें 118.05 रुपये या 11.75 फीसदी की गिरावट देखी गई, जिसके बाद यह 886.30 पर था। हालांकि, बाद में यह गिरावट कुछ कम हुई और फिर यह 88.65 रुपये या 8.83 फीसदी की गिरावट के साथ 915.71 पर आ गया।

रुचि सोया का FPO

वापस अगर रुचि सोया के FPO की बात करें तो एक एक्सचेंज फाइलिंग में रुचि सोया ने कहा कि उसकी इश्यू कमेटी ने एफपीओ के लिए 615 रुपये प्रति शेयर के फ्लोर प्राइस और 650 रुपये प्रति शेयर के कैप प्राइस को मंजूरी दी है। कंपनी ने कहा, "न्यूनतम बोली लॉट 21 होगी और उसके बाद यह 21 इक्विटी शेयरों के गुणकों में होगी।"

2019 में योग गुरु बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली पतंजलि ने दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से 4,350 करोड़ रुपये में रुचि सोया का अधिग्रहण किया था। पिछले साल अगस्त में रुचि सोया को एफपीओ के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिली थी। अब इसका फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) आने वाला है।

इश्यू से आने वाली रकम का उपयोग रुचि सोया द्वारा कुछ बकाया ऋणों के पुनर्भुगतान, अपनी बढ़ती कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं और अन्य सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों को पूरा करके कंपनी के व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए किया जाएगा। इस समय प्रमुख खाद्य तेल कंपनी में प्रमोटरों की करीब 99 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी को एफपीओ में कम से कम 9 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की जरूरत है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार, कंपनी को 25 प्रतिशत की न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए प्रमोटरों की हिस्सेदारी कम करने की जरूरत है। प्रमोटरों की हिस्सेदारी को घटाकर 75 फीसदी करने के लिए उसके पास करीब 3 साल का समय है।