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..और कितना नीचे जाएगा रुपया?

डॉलर के 65 के पार होने के बाद अब इसकी नई तहलटी का अंदाजा लगाया जा रहा है। यूबीएस, नोमुरा और डायचे बैंक एक खेमे में हैं, जो 70 रुपये प्रति डॉलर पर दांव लगा रहे हैं। इस आकलन का आधार अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व का संभावित फैसला है, जिससे आगे चलकर बाजार में सस्ते डॉलरों की आपूर्ति रुक सकती है। उभरते बाज

By Edited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

डॉलर के 65 के पार होने के बाद अब इसकी नई तहलटी का अंदाजा लगाया जा रहा है। यूबीएस, नोमुरा और डायचे बैंक एक खेमे में हैं, जो 70 रुपये प्रति डॉलर पर दांव लगा रहे हैं। इस आकलन का आधार अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व का संभावित फैसला है, जिससे आगे चलकर बाजार में सस्ते डॉलरों की आपूर्ति रुक सकती है। उभरते बाजारों की मुद्राओं में लगातार कमजोरी भी रुपये के और गिरने का आधार बन रही है। क्रेडिट एग्रीकोल और निवेश कंपनी सीएलएसए मानती है कि इतनी गिरावट की आशंका नहीं है। सीएलएसए 65 से 68 रुपये प्रति डॉलर का स्तर देख रही है। डॉलर के ताजा फारवर्ड सौदे 65 से 66 रुपये के बीच होने की खबर है।

विदेशी हाथ: फेड रिजर्व बाजार से सस्ते डॉलर खींचने का कार्यक्रम अगले कुछ महीनों में शुरूकर सकता है। फेड रिजर्व की बैठक के बुधवार की देर रात जारी मिनट के मुताबिक, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी के कुछ सदस्य जल्दी यह कदम उठाने के पक्ष में हैं। अलबत्ता इस पैकेज वापसी को लेकर असमंजस है, क्योंकि कमेटी के अधिकतर सदस्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार पर सशंकित हैं। उनका मानना है कि बाजार से बांड खरीद डॉलर छोड़ने की योजना की चरणबद्ध वापसी शुरू करने का यह सही वक्त नहीं है। इस असमंजस से पैदा हुई आशंकाओं के चलते दुनिया के बाजारों में तेज उठापटक का माहौल बना रहने के संकेत हैं। यह रुपये के लिए कतई अच्छा शगुन नहीं है। रुपये में ताजा गिरावट की वजह विदेशी निवेशकों की बिकवाली है। ये निवेशक भारतीय बाजारों से जून-जुलाई के दौरान करीब 10.5 अरब डॉलर निकाल चुके हैं।

खाद्य सुरक्षा बढ़ाएगी असुरक्षा

बजट घाटे को बढ़ाने वाले खाद्य सुरक्षा बिल के लिए यह सबसे बुरा समय है। बाजार मान रहा है कि इसका पारित होना अर्थव्यवस्था में बने नकारात्मक माहौल को ताकत देगा। तमाम बुरी खबरों के बीच राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण ही एक सकारात्मक पहलू है। अगर यहां बात बिगड़ी तो मुसीबत दोगुनी हो जाएगी।

रेटिंग एजेंसियों से राहतबाजार में जबरदस्त बेचैनी के बावजूद रेटिंग एजेंसियों ने भारत को बख्श दिया है। मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने भारत का रेटिंग आउटलुक बरकरार रखा है। बृहस्पतिवार को फिच ने भी भारत की साख पर आशंका नहीं जताई। इस ग्लोबल एजेंसी ने पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार, राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण और ताजा सुधार कदमों पर भरोसा जताया है।